Zomato Delivery बॉय की दर्दभरी कहानी, आखिर उस रात 3 बजे क्या हुआ?

20 साल का एक ज़ोमैटो डिलीवरी बॉय, कड़ाके की ठंड में देर रात 3 बजे डिलीवरी करता है। उसकी दर्दभरी कहानी ने सबको भावुक कर दिया। आखिर उस रात 3 बजे क्या हुआ?

नई दिल्ली.राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। घने कोहरे के कारण विमानों की उड़ानें भी देरी से चल रही हैं। ठंड के कारण लोग घरों से बाहर निकलने से भी कतरा रहे हैं। इसी बीच 20 साल का एक ज़ोमैटो डिलीवरी बॉय रात 3 बजे खाने का पैकेट लेकर डिलीवरी के लिए निकला। पते पर पहुँचकर उसने दरवाज़ा खटखटाया और ऑर्डर करने वाले व्यक्ति को खाना दिया। कड़ाके की ठंड में आए डिलीवरी बॉय को उस व्यक्ति ने अंदर बुलाया, उसे गरम पानी दिया और प्यार से बात की। इस दौरान 20 साल के इस लड़के की दर्दभरी कहानी सामने आई। डिलीवरी देकर बाहर निकलते समय लड़के की आँखें नम थीं, और ऑर्डर लेने वाला व्यक्ति भी भावुक हो गया।

आखिर उस रात 3 बजे क्या हुआ? वाइल्डनेट टेक्नोलॉजी के निदेशक हिमांशु बोरा ने इस लड़के की ज़िंदगी की कहानी बताई है। इतना ही नहीं, उन्होंने ज़ोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल से एक विशेष अपील भी की है। अब बोरा की इस अपील में कई बड़े लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं। बोरा ने इस बारे में सोशल मीडिया पर विस्तार से लिखा है।

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काफी काम बाकी होने के कारण जब काम खत्म हुआ तो रात के 3 बज चुके थे। इसलिए मैंने ज़ोमैटो से खाना ऑर्डर किया। कुछ ही देर में मेरे घर का दरवाज़ा बजा। मैंने दरवाज़ा खोला तो ज़ोमैटो डिलीवरी बॉय शिव सरकार सामने खड़ा था। बाहर कड़ाके की ठंड थी, फिर भी शिव सरकार ने मुस्कुराते हुए मुझे खाना दिया। लेकिन उसकी आँखों में एक अलग ही कहानी थी। जब उसकी दर्दभरी कहानी सामने आई तो मैं भावुक हो गया।

कड़ाके की ठंड के कारण मैंने 20-21 साल के ज़ोमैटो डिलीवरी बॉय शिव सरकार को अंदर बुलाया और उसे गरम पानी दिया। मैंने उससे पूछा, "इस ठंड में डिलीवरी कर रहे हो, आराम से हो ना? सब ठीक है?" शिव सरकार ने "सब ठीक है" कहा। जब मैं उससे बात कर रहा था, तो उसकी दर्दभरी कहानी सामने आई। शिव सरकार ने बहुत ही दुःख के साथ अपनी ज़िंदगी की दर्दनाक घटनाओं और ज़िम्मेदारियों के बारे में बताया। यह मुझे बहुत परेशान कर रहा है।

शिव सरकार जब 8वीं कक्षा में था, तब उसके पिता का अचानक निधन हो गया, जिससे उसका परिवार टूट गया। उसके पिता ही परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे। शिव सरकार, उसकी बहन और उसकी माँ के पास कोई नहीं बचा। आमदनी बंद हो गई। पढ़ाई जारी रखना मुश्किल हो गया। इसलिए उसे 8वीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा। शिव सरकार का बचपन, जवानी, पढ़ाई, कॉलेज, सब कुछ छूट गया। उसके कंधों पर परिवार की ज़िम्मेदारी आ गई। परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उसे काम ढूँढ़ना पड़ा। शिव सरकार दिन-रात मेहनत करता है। पिछले कुछ सालों से शिव सरकार ने आराम नहीं किया है। वह लगातार काम कर रहा है। कम तनख्वाह में वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। अब वह अपनी बहन की शादी के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। अगले साल अपनी बहन की शादी कराने के लिए वह दिन-रात मेहनत कर रहा है।

शिव सरकार की इच्छा है कि वह अपनी बहन की शादी कराए, अपनी पढ़ाई पूरी करे और एक अच्छी नौकरी पाए। वह मुसीबतों से बाहर निकलना चाहता है। लेकिन हालात उसे ऐसा करने नहीं दे रहे हैं। अपनी कहानी सुनाकर भावुक हुए शिव सरकार ने धन्यवाद कहा और उसी मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ चला गया। लेकिन उसकी दर्दभरी कहानी ने मेरे मन में एक तूफान ला दिया। इस समाज में ऐसे कितने ही शिव सरकार होंगे। परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले ऐसे कितने ही लोग होंगे। क्या ज़ोमैटो उनके लिए कुछ कर सकता है? क्या उन्हें पढ़ाई के लिए आसान कर्ज़, उन्हें एक मंच प्रदान किया जा सकता है? दीपिंदर गोयल और ज़ोमैटो, क्या हम कुछ और कर सकते हैं? शिव सरकार की मदद करने के लिए मेरे पास कुछ योजनाएँ हैं। मैं उन्हें ज़रूर पूरा करूँगा।

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