Angarak Chaturthi 2021: 23 नवंबर को अंगारक चतुर्थी पर करें मंगल दोष के ये आसान उपाय, दूर हो सकती है परेशानियां

इस बार 23 नवंबर, मंगलवार को अगहन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा व व्रत किया जाता है। मंगलवार को चतुर्थी तिथि का योग होने से ये अंगारक चतुर्थी (Angarak Chaturthi 2021) कहलाएगी।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 22, 2021 2:38 PM IST

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार चतुर्थी गणेशजी की तिथि है। इस दिन गणेशजी के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। मंगलवार का कारक ग्रह मंगल है। इस वजह से चतुर्थी पर मंगलदेव की भी पूजा करना चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ फल दे रहा हो, वे यदि इस दिन कुछ खास उपाय करें तो उनकी परेशानियां कुछ कम हो सकती हैं। 

ग्रहों के सेनापति हैं मंगल
ज्योतिष में मंगल देव को ग्रहों का सेनापति माना गया है। ये ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। धर्म ग्रंथों के अनुसार मंगल ग्रह की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से हुई है। इस ग्रह को अंगारक (यानि अंगारे जैसा रक्त वर्ण), भौम (यानि भूमि पुत्र) भी कहा जाता है। मंगल युद्ध का देवता कहलाता है और कुंवारा है। यह ग्रह मेष एवं वृश्चिक राशियों का स्वामी है।

ऐसे हुई उत्पत्ति
धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक समय जब कैलाश पर्वत पर भगवान शिव समाधि में ध्यान लगाये बैठे थे, उस समय उनके ललाट से तीन पसीने की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं। इन बूंदों से पृथ्वी ने एक सुंदर और प्यारे बालक को जन्म दिया, जिसके चार भुजाएं थीं और रक्त वर्ण का था। इस पुत्र को पृथ्वी ने पालन पोषण करना शुरु किया। तभी भूमि का पुत्र होने के कारण यह भौम कहलाया। कुछ बड़ा होने पर मंगल काशी पहुंचा और भगवान शिव की कड़ी तपस्या की। तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे मंगल लोक प्रदान किया।

मंगल के उपाय
1.
अंगारक चतुर्थी पर हनुमानजी की पूजा करें, चोला चढ़ाएं, गुड़-चने का भोग लगाएं। ये उपाय प्रति मंगलवार भी कर सकते हैं।
2. अंगारक चतुर्थी पर मंगल के मंत्रों का जाप करें। जाप के लिए लाल चंदन की माला का उपयोग करें।
3. घर में मंगल यंत्र की स्थापना करें और रोज उसकी पूजा विधि-विधान से करें। इससे आपकी परेशानियां कम हो सकती हैं
4. किसी हनुमान मंदिर में लाल रंग का झंडा लगवाएं या किसी ब्राह्मण को लाल वस्त्र दान करें।
5. अंगारक चतुर्थी पर लाल मसूर की दाल नदी में प्रवाहित करें।

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