हिंदू धर्म में हर त्योहार से जुड़ी कोई न कोई परंपरा होती है। नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) से भी ऐसी कई परंपराएं जुड़ी हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिनों जैसे अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजन (Kanya Pujan Vidhi) विशेष रूप से किया जाता है।
उज्जैन. मान्यता है कि कन्या पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और देवी भी प्रसन्न होती हैं। कन्या पूजन के लिए 12 वर्ष की कन्याओं का चयन किया जाता है। इन्हें घर में बुलाकर मनसंद भोजन करवाया जाता है और पूजन कर उपहार दिया जाता है। ये परंपरा बहुत लोकप्रिय है। इस बार अष्टमी तिथि 9 अप्रैल, शनिवार और नवमी तिथि 10 अप्रैल, रविवार को है। इन दोनों दिनों में से किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है। आगे जानिए कन्या पूजन की विधि…
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इस विधि से करें कन्या पूजा
- जो व्यक्ति कन्या पूजा करना चाहता है, वो एक दिन पहले कन्याओं को उनके घर जाकर आदरपूर्वक घर आने का निमंत्रण दें। तय समय पर जब कन्याएं घर आ जाएं तो उन्हें बैठने के लिए उचित स्थान दें।
- कन्याओं की पसंद का भोजन बनवाएं और एक साथ बैठाकर खिलाएं। भोजन में खीर या हलवा अवश्य होनी चाहिए क्योंकि ये दोनों चीजें देवी को बहुत पसंद हैं। कन्याओं के भोजन करने के बाद तिलक लगाएं और पैरों में महावर या मेहंदी लगाएं।
- इसके बाद हाथ में फूल लेकर यह मंत्र बोलें-
मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते।।
- यह फूल कन्या के चरणों में अर्पण कर उन्हें अपनी उपहार देकर विदा करें। इस प्रकार कन्या पूजन से गरीबी दूर होती है और सुख-समृद्धि भी मिलती है।
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अष्टमी और नवमी तिथि कब से कब तक?
हिंदू पंचागं के अनुसार कन्या पूजा अष्टमी और नवमी तिथि पर करना श्रेष्ठ रहता है। इस बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 8 अप्रैल, शुक्रवार की रात करीब 11.10 से शुरू हो चुकी है, जो 9 अप्रैल, शनिवार की रात लगभग 01:30 तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो रात लगभग 3 बजे तक रहेगी। इसलिए इन दोनों ही दिनों में अपनी सुविधा के अनुसार पर कन्या पूजा कर सकते हैं।
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