Gayatri Jayanti 2022: ग्रह दोष से बचने और देवताओं से शुभ फल पाने के लिए करें इन गायत्री मंत्रों का जाप

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 10 जून, शुक्रवार को है। धर्म ग्रंथों में देवी गायत्री को वेदों की माता भी कहा गया है।

Manish Meharele | Published : Jun 10, 2022 4:06 AM IST / Updated: Jun 10 2022, 09:40 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों, पुराणों, ज्योतिष आदि में गायत्री मंत्र को बहुत ही प्रभावशाली माना गया है। इसे महामंत्र कहा जाता है। वैसे तो मूल गायत्री मंत्र एक ही है, लेकिन मनोकामना पूरी करने और देवताओं को प्रसन्न करने के लिए विद्वानों ने अलग-अलग मूल गायत्री मंत्र से जोड़कर अन्य मंत्रों की रचना भी की है। इन मंत्रों से इन देवताओं की पूजा की जाए तो शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। हर देवता को प्रसन्न करने के लिए एक अलग गायत्री मंत्र है। आगे जानिए इन गायत्री मंत्रों के बारे में…

1. सरस्वती गायत्री मंत्र
ऊँ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।।

2. दुर्गा-गायत्री मंत्र
ऊँ गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।

3. हनुमान-गायत्री मंत्र
ऊँ आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।।

4. सूर्य-गायत्री मंत्र
ऊँ आदित्याय विद्महे, सहस्त्रकिरणाय धीमहि। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।

5. शनि-गायत्री मंत्र
ऊँ भगभवाय विद्महे, मृत्युरूपाय धीमहि। तन्नो सौरी: प्रचोदयात।।

6. गणेश-गायत्री मंत्र
ऊँ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।।

7. श्रीकृष्ण-गायत्री मंत्र
ऊँ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।।

8. विष्णु-गायत्री मंत्र
ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात।।

9. लक्ष्मी-गायत्री मंत्र
ऊँ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे, विष्णु पत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।

10. शिव-गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।

11. तुलसी-गायत्री मंत्र
ऊँ श्रीतुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

इन बातों का रखें खास ध्यान…
1.
गायत्री मंत्र को महामंत्र कहा गया है। इसलिए इसका जाप करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इस मंत्र का जाप करते समय मन में दूसरा कोई विचार नहीं चाहिए।
2. कुशा या सूती वस्त्र के आसन पर बैठकर ही गायत्री मंत्र का जाप करें। नियम के अनुसार, गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय से दो घंटे पहले से लेकर सूर्यास्त से एक घंटे बाद तक किया जा सकता है।  
3. गायत्री मंत्र का जाप करते समय कपड़े आदि साफ होने चाहिए और मानसिक स्थिति में स्वच्छ होनी चाहिए। 
4. अगर माला से गायत्री मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो रुद्राक्ष की 108 मनकों वाली माला का उपयोग करें।  
5. अगर आप स्वयं गायत्री मंत्र का जाप करने में असमर्थ हैं तो किसी योग्य ब्राह्मण से भी ये काम करवा सकते हैं। इससे भी पूरा फल मिलता है।

 

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