Sawan 2022: शुभ फल पाने के लिए सावन में रोज करें शिवजी की पूजा, जानिए विधि, मंत्र, उपाय और आरती

सावन भगवान शिव का प्रिय मास है। ये हिंदू पंचांग का पांचवां महीना है। इस बार सावन मास 14 जुलाई, गुरुवार से शुरू हो चुका है जो 11 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में भक्त अपने-अपने तरीकों से शिवजी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

Manish Meharele | Published : Jul 14, 2022 3:31 AM IST

उज्जैन. भगवान शिव का प्रिय सावन (Sawan 2022) मास आज 14 जुलाई, गुरुवार से शुरू हो चुका है। इस महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस महीने में हर कोई महादेव को प्रसन्न करने का प्रयास अलग-अलग माध्यमों से करता है। कोई उपवास रखता है तो कोई पूरे महीने चप्पल-जूते नहीं पहनता। वैसे तो शिवजी सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन सावन में यदि रोज छोटी-सी विधि से शिवजी की पूजा की जाए तो हर परेशानी दूर हो सकती है। और भी कई तरीके हैं शिवजी को प्रसन्न करने के। सावन के पहले दिन हम आपको बता रहे हैं शिवजी की पूजा की सबसे आसान विधि, मंत्र, आरती व अन्य खास बातें…

शिव पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री (Shiv Puja Samgri List)
गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, फूल, फल, शुद्ध घी, शहद, पवित्र जल, इत्र, गंध रोली, मौली, जनेऊ, मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर आदि

इस विधि से करें पूजा (Sawan shiv Puja Vidhi)
सावन में रोज सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का स्वच्छ जल से अभिषेक करें, इसके बाद गाय के दूध से अभिषेक कर पुन: स्वच्छ जल चढ़ाएं। दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद एक-एक कर सभी चीजें (इत्र, गंध, रोली, मौली, जनेऊ, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर आदि) चढ़ाएं। अंत में भोग लगाकर आरती करें। सावन में रोज इस विधि से शिवजी की पूजा करें।

सावन में रोज करें इन मंत्रों का जाप (Shivji Ke Mantra)
सावन में अगर रोज शिवजी के मंत्रों का जाप किया जाए तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सभी तरह की परेशानियां भी दूर हो सकती हैं। आगे जानिए इन मंत्रों और इनसे मिलने वाले फलों के बारे में…


1. ॐ नमः शिवाय 
ये भगवान शिव का मूल मंत्र है। सावन में रोज कम से कम 108 बार इसका जाप करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और जीवन की परेशानियां कम होती है।

2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
ये महामृत्युंजय मंत्र है। रोज इसका जाप करने से उम्र लंबी होती है और अगर किसी तरह की कोई बीमारी है तो उसमें आराम मिलता है।

3. ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः 
इस मंत्र को रुद्र मंत्र कहा जाता है। इस मंत्र का जान करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्! 
ये शिव गायत्री मंत्र है, जिसे सर्वशक्तिशाली माना जाता है। इस मंत्र से व्यक्ति को सुख और शांति की प्राप्ति होती है।  

ये उपाय करें… (Shivji Ke Upay)
1.
भगवान शिव को चावल चढ़ाएं। शिवपुराण के अनुसार, इस उपाय से धन की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है। जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है। गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।
3. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की पूजा चमेली के फूल से करने पर वाहन सुख मिलता है।
4. अलसी के फूलों से शिव की पूजा करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
5. जूही के फूल से भगवान शिव की पूजा करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
6. लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजा में शुभ माना गया है।
7. बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।


शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

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