एक राक्षस के शरीर के दो हिस्से हैं राहु-केतु, ये उपाय करने से दूर हो सकता है इनका अशुभ प्रभाव

12 अप्रैल, मंगलवार से राहु-केतु का राशि (Rahu Gochar April 2022) परिवर्तन हो चुका है। राहु वृषभ राशि से निकलकर मेष में और केतु वृश्चिक से निकलकर तुला में आ चुका है। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रहों को बहुत विशेष माना गया है क्योंकि ये वास्तविक ग्रह न होकर छाया ग्रह हैं। लेकिन इनका प्रभाव भी मानव जीवन पर पड़ता है।

उज्जैन. राहु-केतु की खास बात ये है कि ये हमेशा वक्री यानी उल्टे ही चलते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ये दोनों ग्रह एक राक्षस के शरीर के दो हिस्से हैं। राहु राक्षस का सिर है और केतु धड़। इससे जुड़ी कहानी भी पौराणिक ग्रंथों में पढ़ने को मिलती है। ये दोनों ग्रह जब अशुभ होते हैं तो राजा को भी भिखारी बना देते हैं। आगे जानिए राहु-केतु से जुड़ी कथा और इनके उपाय…

समुद्र मंथन (Samudra Manthan) से जुड़ी है राहु-केतु का कथा
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब दैत्यों और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसमें कई सारे रत्न निकले, जिन्हें दैत्यों और दानवों ने आपस में बांट लिया। सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले। 
- अमृत कलश पाने के लिए देवताओं और दैत्यों में युद्ध होने लगा, क्योंकि अमृत पीकर सभी अमर होना चाहते थे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और दोनों पक्षों को अमृत पिलाने लगे। 
- लेकिन सच बात तो ये थी कि मोहिनी रूपी भगवान विष्णु सिर्फ देवताओं को ही अमृत पिला रहे थे और दैत्यों को अमृत पिलाने का नाटक कर रहे थे। ये बात स्वर्भानु नामक दैत्य को पता चल गई और वह रूप बदलकर देवताओं के साथ बैठ गया। 
- मोहिनी रूपी विष्णु ने जैसे ही उसे अमृत पिलाया, सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और सबको बता दिया। भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका मस्तक काट दिया, लेकिन वह दैत्य मरा नहीं क्योंकि वह अमृत पी चुका था। 
- उसी दैत्य का सिर राहु कहलाया और धड़ केतु। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों को ग्रह की संज्ञा दी गई है। ये दोनों ग्रह मानव जीवन को प्रभावित करते हैं और कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं।

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राहु से शुभ फल पाने के उपाय (Rahu Ke Upay)
1. भगवान कालभैरव की पूजा करने से राहु से संबंधित दोषों में कमी आती है। हर शनिवार को भगवान कालभैरव को मदिरा और दहीबड़े का भोग लगाना चाहिए। 
2. अगर आप राहु दोष से पीड़ित हैं, तो रोजाना राहु मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः। का जाप करें। इस मंत्र जाप से भी राहु दोष से मुक्ति मिलती है।
3. राहु से संबंधित दोष दूर करने के लिए नहाने के पानी में पहले कुश (एक प्रकार की घास, जिसका उपयोग पूजा में होता है) डालकर प्रतिदिन स्नान करने से भी राहु दोष से मुक्ति मिलती है।
4. लाल किताब के अनुसार, राहु दोष से पीड़ित व्यक्ति को शनिवारको मीठी चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए।
5. प्रतिदिन ऊं नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भी राहु से संबंधित दोष दूर हो सकते हैं। 

केतु से शुभ फल पाने के उपाय (Ketu Ke Upay)
1. केतु अशुभ फल दे रहा हो तो काले रंग की गाय का दान करने से संकट दूर हो सकते हैं। अगरे ये संभव न हो तो काली गाय का चारा खिलाने से भी केतु के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। 
2. केतु ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए गरीब, असहाय, अपंग व्यक्तियों को भोजन, धन आदि का दान करें और भूलकर भी उनका अपमान न करें।
3. केतु के बीज मंत्र 'ॐ कें केतवे नमः’ का जाप करने से भी इस ग्रह से संबंधित अशुभ फलों को कम किया जा सकता है।
4. हर बुधवार को भगवान श्रीगणेश की पूजा करने और गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने से भी केतु से संबंधित शुभ फल मिलने लगते हैं।
5. घर-परिवार के बुजुर्गों की सेवा करने से भी केतु ग्रह प्रसन्न होता है।
 

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