Sarva Pitru Amavasya 2022: श्राद्ध की अमावस्या पर 6 शुभ योग, पितरों की शांति के लिए करें ये 3 उपाय

Sarva Pitru Amavasya 2022: 25 सितंबर, रविवार को आश्विन मास की अमावस्या है। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का खास महत्व बताया गया है। ये श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन है। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध एक साथ किया जा सकता है, इसलिए इसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं। 
 

Manish Meharele | Published : Sep 22, 2022 4:39 AM IST

उज्जैन. 25 सितंबर, रविवार को श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाएगा और सभी पितृ अपने लोक में लौट जाएंगे। श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन पितृ अपने वंशजों से पानी और भोजन की आशा रखते हैं इसलिए इस तिथि पर तर्पण, पिंडदान अवश्य करना चाहिए। इससे पितृ तृप्त होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इसे तिथि को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2022) कहते हैं। इस बार श्राद्ध की अमावस्या पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है।

कब से कब तक रहेगी अमावस्या तिथि?
पंचांग के अनुसार, श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि 24 सितंबर, शनिवार की रात 03:12 से शुरू होकर 25 सितंबर, रविवार की रात 03:24 तक रहेगी। अमावस्या तिथि का सूर्योदय 25 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या रहेगी। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस दिन शुभ, शुक्ल, मित्र, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग बनेंगे। वहीं, सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य और बुध-शुक्र की युति से लक्ष्मीनारायण योग बनेगा। इतरे सारे शुभ योग एक साथ होने से इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है।

पौधे लगाने से प्रसन्न होते हैं पितृ
हिंदू धर्म ग्रंथों में पेड़-पौधों को भी पितृ स्वरूप ही माना गया है। इसलिए इनकी पूजा करने का भी विधान है। इसलिए सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए पौधे भी लगा सकते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन पितृ अपने वंशजों से शुभ कार्य की आशा करते हैं। इस दिन लगाएं गए पौधे की छांव से पितरों को संतोष मिलता है और वे तृप्ति का अनुभव करते हैं।

अमावस्या पर करें शिवजी की पूजा 
धर्म ग्रंथों में शिवजी को आदि और अनंत माना गया है। ये सभी प्राणियों में प्राण रूप में निवास करते हैं। इसलिए सर्व पितृ अमावस्या पर महादेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इससे भी पितृ प्रसन्न होते हैं। संभव हो तो इस दिन अपनी इच्छा अनुसार, कुछ देर महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी करें। स्वयं मंत्र जाप न कर पाएं तो किसी विद्वान ब्राह्मण से भी ये कार्य करवा सकते हैं।

जरूरतमंदों को दान करें
सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए जरूरतमंद लोगों को भोजन, अनाज, बर्तन, जूते-चप्पल, बिस्तर आदि चीजों का दान करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में दान का महत्व महाभारत में भीष्म पितामाह ने भी बताया है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से पितृ लोक में बैठे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।


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