ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और मंगल एक-दूसरे के शत्रु ग्रह हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये दोनों ग्रह एक ही भाव में होते हैं, उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उज्जैन. कुछ ज्योतिषियों ने इस युति को द्वंद्व योग की संज्ञा दी है। द्वंद्व का अर्थ है लड़ाई। शनि मंगल का योग कुंडली में करियर के लिए संघर्ष देने वाला होता है। जानिए इससे जुड़ी अन्य खास बातें…
1. जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि और मंगल की युति होती है उसे करियर की स्थिरता में बहुत समय लगता है और व्यक्ति को बहुत अधिक पुरुषार्थ करने पर ही करियर में सफलता मिलती है।
2. शनि मंगल का योग यदि कुंडली के छठे या आठवे भाव में हो तो स्वास्थ में कष्ट उत्पन्न करता है। शनि मंगल का योग विशेष रूप से पाचनतंत्र की समस्या, जॉइंट्स पेन और एक्सीडेंट जैसी समस्याएं देता है।
3. कुंडली में बलवान शनि सुखकारी तथा निर्बल या पीड़ित शनि कष्टकारक और दुखदायी होता है। इन विपरीत स्वभाव वाले ग्रहों का योग स्वभावतः भाव स्थिति संबंधी उथल-पुथल पैदा करता है।
4. यह योग लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में होने पर मंगल दोष को अधिक अमंगलकारी बनाता है, जिसके फलस्वरूप जातक के जीवन में विवाह संबंधी कठिनाइयां आती हैं।
5. लग्न में शनि-मंगल के होने से व्यक्ति अहंकारी व सनकी हो जाता है। जिस कारण वह अपने जीवन में हमेशा ऊट-पटांग निर्णय लेकर अपने जीवन को बर्बाद कर लेता है।
1. शनि और मंगल से जुड़ी वस्तुओं का दान समय-समय पर करते रहना चाहिए।
2. शनि और मंगल के मंत्रों का जाप स्वयं करें। अगर संभव न हो तो किसी योग्य ब्राह्मण से भी मंत्र जाप करवा सकते हैं।
3. इन ग्रहों को दोष दूर करने से किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर रत्न धारण करना चाहिए।
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