Saubhagya Sundari Vrat 2022: 4 अप्रैल को करें सौभाग्य सुंदरी व्रत, दूर होगी वैवाहिक जीवन की परेशानियां

धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat 2022) किया जाता है। इस दिन महिलाएं देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा करती हैं। इस बार ये व्रत 4 अप्रैल, सोमवार को है।

Manish Meharele | Published : Apr 3, 2022 11:37 AM IST

उज्जैन. इस बार सौभाग्य सुंदरी व्रत सोमवार को होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं के घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और सौभाग्य बना रहता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सौभाग्य सुंदरी व्रत करने से  वैवाहिक जीवन का दोष भी दूर होता है और पति-पत्नी में प्रेम बना रहता है। यदि किसी लड़की के विवाह में देरी हो रही हो तो वो परेशानी भी ये व्रत करने से दूर हो सकती है। 

ये भी पढ़ें- Gangaur Teej 2022: गणगौर तीज 4 अप्रैल को, इस दिन करें शिव-पार्वती की पूजा, ये है शुभ मुहूर्त और कथा

इस विधि से करें सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat Ki Vidhi)
- चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए तैयारी करें। पूजा की थाली में माला, फल, भोग, पान आदि चीजें रख लें।  इनके अलावा माता पार्वती को चढ़ाने के लिए लाल साड़ी, चूडियां, बिंदी, कुमकुम, मेंहदी आदि रख लें। 
- थाली में ये सभी चीजें रखने के बाद शुद्ध मन से भगवान और देवी पार्वती की पूजा करें। पहले पूजा सामग्री शिव-पार्वतीजी को अर्पित करें। इसके बाद सुहाग की सामग्री देवी पार्वती को चढ़ाएं। अपनी श्रृद्धा अनुसार व्रत रखें। शाम को दोबारा पूजा करने के बाद व्रत खोलें। इस प्रकार सौभाग्य सुंदरी व्रत करने से वैवाहिक सुख में बढ़ोत्तरी होती है।

ये भी पढ़ें- Chaitra Navratri 2022: 10 अप्रैल से पहले करें लाल किताब के ये अचूक उपाय, किस्मत चमकते देर नहीं लगेगी

सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व (Saubhagya Sundari Vrat Ka Mahatav)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सौभाग्य सुंदरी व्रत करने से पति और संतान की उम्र बढ़ती है और उनके जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। जिन महिलाओं को वैवाहिक जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ रहा है और जिन अविवाहित लड़कियों के विवाह में देरी हो रही हो उन्हें ये व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने से मंगल दोष का परिहार भी होता है। इस व्रत को भी करवाचौथ के समान ही शुभ फल देने वाला गया है।
 
ये भी पढ़ें-

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के दौरान भूलकर भी न करें ये 4 काम, हो सकता है कुछ अशुभ

2 अप्रैल से शुरू होगा विक्रम संवत् 2079, कौन हैं इस वर्ष का राजा और मंत्री, किस ग्रह को मिला है कौन-सा पद?

Chaitra Navratri: झांसी के महाकाली मंदिर में कन्या रूप में होती है देवी की पूजा, 1687 में हुआ था इसका निर्माण
 

Share this article
click me!