Sawan 2022: सावन में करें इस खास चीज से बनें शिवलिंग की पूजा, कुछ ही समय में मिलने लगेंगे शुभ फल

सावन (Sawan 2022) भगवान शिव का प्रिय मास है। इस बार ये महीना 11 अगस्त तक रहेगा। सावन में हर कोई भगवान शिव की कृपा पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करता है। धर्म ग्रंथों में भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं।

Manish Meharele | Published : Jul 27, 2022 12:46 PM IST

उज्जैन. लिंग पुराण में अलग-अलग धातुओं जैसे- सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि से बने शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। लेकिन इन सबसे अधिक महत्व पारे (Parad Shivling) से बने शिवलिंग का है। वैज्ञानिक भाषा में पारे को मरक्यूरी (Mercury) कहते हैं। ये सामान्य स्थिति में एक द्रव्य के रूप में रहता है, शोधन के बाद इसे ठोस बनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रतिदिन पारे से निर्मित शिवलिंग की पूजा से हर परेशानी दर हो सकती है।

घर के दोष करने के लिये 
सावन के दौरान किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और रोज इसकी पूजा करें। इसके प्रभाव से घर में किसी भी तरह का दोष हो जैसे वास्तु दोष, पितृ दोष, स्थान दोष, पृथ्वी दोष आदि सभी अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं। इस शिवलिंग की पूजा से घर में पॉजिटिविटी रहती है, जिसका प्रभाव सभी लोगों पर होता है।

ग्रहों से संबंधित शुभ फल पाने के लिये
अधिकांश लोग ग्रहों से संबंधित अशुभ प्रभाव के कारण परेशान रहते हैं। ऐसी स्थिति में यदि रोज पारद शिवलिंग की पूजा की जाए तो शनि, मंगल, सूर्य आदि सभी ग्रहों के दोष का असर कम होता है। जिससे हमें लाइफ में सफलता मिलने लगती है और हमारे जीवन में खुशियां लौट आती हैं।

बिजनेस में सफलता पाने के लिए
अगर आपका बिजनेस ठीक से नहीं चल रहा तो इसके लिए भी पारद शिवलिंग की पूजा बहुत उपयोगी है। अपने ऑफिस या दुकान के मंदिर में अंगूठे के आकार के पारद शिवलिंग की स्थापना करें और रोज सुबह-शाम इसकी पूजा करें। संभव हो तो कुछ देर इस शिवलिंग के सामने बैठकर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप भी करें। इससे आपकी बिजनेस से संबंधित परेशानियां दूर हो सकती हैं।

संतान सुख के लिए उपाय
यदि आप संतान की इच्छा रखते हैं तो घर में पारद शिवलिंग की स्थापना कर पति-पत्नी दोनों इसकी पूजा करें और रोज सुबह नीचे लिखे मंत्र का कम से कम 5 माला जाप करें। इस मंत्र और पारद शिवलिंग के प्रभाव से आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी।
मंत्र- ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।


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