Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष के 16 दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कार्य करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इस दौरान दान का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और पितृ दोष भी खत्म हो जाते हैं।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्राद्ध (Shraddha Paksha 2022) में गाय, तिल, भूमि, नमक, घी आदि दान करने की परंपरा है। इन सभी वस्तुओं को दान करने से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं। धर्म ग्रंथों में श्राद्ध में दान की गई वस्तु से मिलने वाले फलों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है, लेकिन बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं श्राद्ध में क्या वस्तु दान करने से उसका क्या फल प्राप्त होता है…
1. महाभारत के अनुसार, श्राद्ध में गुड़ का दान पूर्वजों के आशीर्वाद से कलह और दरिद्रता का नाश कर धन और सुख देने वाला माना गया है। गुड़ अधिक मात्रा में हो ये जरूरी नहीं, बहुत थोड़ा गुड़ भी दान किया जा सकता है।
2. गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है।
3. श्राद्ध में गाय का घी एक परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
4. श्राद्ध के दौरान गेहूं व चावल का दान करना चाहिए। ये न हो तो कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है। इससे हर काम में सफलता मिलती है।
5. श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान करने से संपत्ति से संबंधित फायदा होता है।
6. श्राद्ध पक्ष में सोने का दान कलह का नाश करता है। अगर सोने का दान संभव न हो तो अपनी इच्छा अनुसार, धन का दान भी कर सकते हैं।
7. श्राद्ध के दौरान यदि वस्त्रों का दान करना हो तो धोती और दुपट्टा सहित दो अन्य वस्त्रों का दान करना चाहिए। ये वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए।
8. पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत शुभ माना गया है।
9. श्राद्ध कर्म में तिल का विशेष महत्व है। इसी तरह श्राद्ध में काले तिलों का दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद हमारे ऊपर बना रहता है।
10. पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है।
श्राद्ध के दौरान दान देते समय यह मंत्र बोलना चाहिए…
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोयज्ञक्रियादिषु।
न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्।।
दान करते समय यह श्लोक बोलकर भगवान विष्णु से श्राद्धकर्म की शुभ फल की प्रार्थना करना चाहिए।
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