ये हैं जन्म कुंडली के 5 अशुभ योग, इनसे जीवन में बनी रहती हैं परेशानियां, बचने के लिए करें ये उपाय

जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों के आधार पर शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इनका असर व्यक्ति के जीवन पर हमेशा बन रहता है। आज हम आपको कुंडली में बनने वाले 5 ऐसे अशुभ योगों के बारे में बता रहे हैं, जिनके कारण व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 28, 2020 4:35 AM IST

उज्जैन. जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों के आधार पर शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इनका असर व्यक्ति के जीवन पर हमेशा बन रहता है। आज हम आपको कुंडली में बनने वाले 5 ऐसे अशुभ योगों के बारे में बता रहे हैं, जिनके कारण व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये हैं वो 5 अशुभ योग और उनके उपाय…


1. चांडाल योग
कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु या केतु का होना या दृष्टि संबंध होना चांडाल योग बनाता है। इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। ऐसा व्यक्ति बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं।

उपाय
इस योग के निवारण हेतु उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें। माथे पर केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं।

 

2. अल्पायु योग
जब व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है। अल्पायु योग में व्यक्ति के जीवन पर हमेशा हमेशा संकट मंडराता रहता है।

उपाय
अल्पायु योग के निदान के लिए रोज हनुमान चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र पढ़ना चाहिए और बुरे कामों से दूर रहना चाहिए।


3. ग्रहण योग
ग्रहण योग मुख्यत: 2 प्रकार के होते हैं- सूर्य और चन्द्र ग्रहण। यदि चन्द्रमा पाप ग्रह राहु या केतु के साथ बैठे हों तो चन्द्रग्रहण और सूर्य के साथ राहु हो तो सूर्यग्रहण होता है। चन्द्रग्रहण से मानसिक पीड़ा और माता को हानि पहुंचती है। सूर्यग्रहण से व्यक्ति कभी भी जीवन में स्टेबल नहीं हो पाता है, हड्डियां कमजोर हो जाती है, पिता से सुख भी नहीं मिलता।

उपाय
आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें। सूर्य को जल चढ़ाएं। एकादशी और रविवार का व्रत रखें। दाढ़ी और चोटी न रखें।


4. वैधव्य योग
वैधव्य योग का अर्थ है विधवा हो जाना। सप्तम भाव का स्वामी मंगल होने व शनि की तृतीय, सप्तम या दशम दृष्टि पड़ने से भी वैधव्य योग बनता है। सप्तमेश का संबंध शनि, मंगल से बनता हो व सप्तमेश निर्बल हो तो वैधव्य का योग बनता है।

उपाय
विवाह से पहले कुंभ विवाह करना चाहिए और यदि विवाह होने के बाद इस योग का पता चलता है तो पति-पत्नी दोनों को मंगल और शनि के उपाय करना चाहिए।


5. दारिद्रय योग
यदि किसी जन्म कुंडली में 11वें घर का स्वामी ग्रह कुंडली के 6, 8 अथवा 12वें घर में स्थित हो जाए तो ऐसी कुंडली में दारिद्रय योग बन जाता है। दारिद्रय योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातकों की आर्थिक स्थिति जीवनभर खराब ही रहती है तथा ऐसे लोगों को अपने जीवन में अनेक बार आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।

उपाय
प्रत्येक शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा करें और व्रत रखें। समय-समय पर जरूरतमंदों को दान आदि करते रहें।

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