ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार 7 नवंबर, शनिवार को पुष्य नक्षत्र होने से शनि पुष्य का शुभ योग बन रहा है। इस शुभ योग में किए गए दान, पूजा व उपाय आदि का जल्दी ही शुभ फल मिलता है।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढय्या का प्रभाव है, वे लोग इस दिन पूजा कर शनिदेव की कृपा पा सकते हैं। धर्म शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्रों की रचना की गई है। उन्हीं में से कुछ मंत्र नीचे दिए गए हैं। शनि पुष्य पर इनका विधि-विधान से जाप करें तो शनिदेव शीघ्र ही प्रसन्न हो जाएंगे। ये मंत्र इस प्रकार हैं-
1. वैदिक मंत्र
ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:
2. लघु मंत्र
ऊं ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
3. ध्यान मंत्र
इंद्रनीलद्युति: शूली वरदो गृधवाहन:।
बाणबाणासनधर: कर्तव्योर्क सुतस्तथा।।
4. बीज मंत्र
ऊं शं शनैश्चराय नम:।
5. मंत्र
ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:
6. मंत्र
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
जाप विधि
1. शनि पुष्य की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं।
2. सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और नीले फूल चढ़ाएं।
3. इसके बाद रूद्राक्ष की माला से इनमें से किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें।
4. शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।
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