सार

ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का विशेष महत्व है। इन सभी में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। 27 नक्षत्रों में पुष्य 8 वां नक्षत्र है। इस बार 7 नवंबर को शनि पुष्य का शुभ योग बन रहा है। इस नक्षत्र को मन को उल्लास से भरने वाला व सुख-समृद्धि देने वाला माना जाता है।

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का विशेष महत्व है। इन सभी में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। 27 नक्षत्रों में पुष्य 8 वां नक्षत्र है। इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि शनि होने के कारण इसमें किये गए काम चिरस्थायी होते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस बार 7 नवंबर को शनि पुष्य का शुभ योग बन रहा है। इस नक्षत्र को मन को उल्लास से भरने वाला व सुख-समृद्धि देने वाला माना जाता है। अलग-अलग वार के साथ पुष्य नक्षत्र का योग होने से विभिन्न योग बनते हैं। जानिए किस वार को पुष्य नक्षत्र कौन-सा योग बनाता है...

रवि पुष्य
रविवार को पुष्य नक्षत्र का योग श्रीवत्स नाम का योग बनाता है, जो सुख-संपत्ति व विजय प्रदान करता है।

सोम पुष्य
सोमवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग धाता नामक योग का निर्माण करता है। ये योग सुख-सौभाग्य बढ़ाता है।

मंगल पुष्य
मंगलवार को पुष्य का संयोग प्रवर्ध योग बनाता है। इस योग में जमीन, जायदाद खरीदना शुभ रहता है।

बुध पुष्य
बुधवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग मातंग योग बनाता है। यह योग वंश वृद्धि के लिए शुभ माना गया है।

गुरु पुष्य
गुरुवार को पुष्य का संयोग शुभ नामक योग निर्मित करता है, जो सुख, वैभव, शांति एवं प्रगतिकारक है।

शुक्र पुष्य
शुक्रवार को पुष्य का संयोग उत्पात नामक योग बनाता है। इस योग में लक्ष्मी पूजा करना श्रेष्ठ रहता है।

शनि पुष्य
शनिवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग मित्र योग बनाता है, जो धन-धान्य व शुभ संबंध स्थापित करने वाला है।

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