27 साल पहले 1992 में आज ही के दिन यानी 6 दिसंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा को ढहाया गया था। इस दिन को हिंदू शौर्य दिवस तो मुस्लिम पक्ष काला दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। लेकिन 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने शौर्य दिवस न मनाने की घोषणा की थी।
अयोध्या (Uttar Pradesh). 27 साल पहले 1992 में आज ही के दिन यानी 6 दिसंबर को अयोध्या में विवादित ढांचा को ढहाया गया था। इस दिन को हिंदू शौर्य दिवस तो मुस्लिम पक्ष काला दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। लेकिन 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने शौर्य दिवस न मनाने की घोषणा की थी। लेकिन मुस्लिम पक्ष पहले की ही तरह काला दिवस (यौमे गम) मनाएगा। हालांकि, ये कार्यक्रम सार्वजनिक न होकर मस्जिद में बैठक की जाएगी। वही, सुरक्षा के लिहाज से पूरे अयोध्या में भारी संख्या में फोर्स तैनात है।
मस्जिद में एकजुट होकर मनाएंगे काला दिवस
मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने कहा, पहले घर हम यौमे गम पर अपने घरों में चर्चा करते थे और शहीदों को श्रद्धांजलि देते थे। इस बार हम मस्जिद में एकजुट होंगे। घर पर कोई कार्यक्रम नहीं होगा।
ये मुस्लिम पक्षकार काला दिवस मनाने के खिलाफ
मुस्लिम पक्ष के ही इकबाल अंसारी का कहना है, हमने न कभी यौमे गम मनाया, न ही मनाएंगे। अब हमें आगे की बात सोचनी चाहिए। वहीं, अयोध्या के कटरा के रहने वाले मोहम्मद इरफान अंसारी कहते हैं, कोर्ट के फैसले से हटकर हम चाहते हैं कि अयोध्या का विकास हो। अयोध्या आगे बढ़े, अब यहां सौहार्द कायम रहे। हालांकि, विवाद के संघर्ष में जो शहीद हुए, उनके नमन की आवश्यकता आज भी है। लेकिन मैं काला दिवस मनाने के पक्ष में नहीं हूं। 1992 की घटना में जो लोग शामिल थे, उन पर शीघ्र सुनवाई हो और जल्द सजा हो, बस इतना ही चाहता हूं।