4 दिन तक बंधक बना खाते में डलवाए 40 हजार, लखनऊ से किडनैप बिहार के युवक ने बताई पूरी कहानी

यूपी के लखनऊ से बिहार के रहने वाले एक युवक को अगवा कर उससे पांच लाख रुपए की डिमांड की जाती है। मांग पूरी ना होने पर आरोपियों ने युवक के शरीर को सिगरेट से दागते हैं। परिजनों की तहरीर के आधार पर पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 26, 2022 12:35 PM IST / Updated: Oct 28 2022, 10:17 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से पांच दिन पहले बिहार के रहने वाले आशीष पाठक का अपहरण कर लिया जाता है। आरोपी उसे अगवाकर कार से झांसी के पूंछ थाना क्षेत्र के फार्महाउस पर ले जाते हैं। इस दौरान आरोपी आशीष कुमार को बंधक बनाकर उससे मारपीट करते हैं। इसके साथ ही आरोपी परिवार को फोन कर 4 लाख रुपए की डिमांड करते हैं। यातनाएं देने के लिए पीड़ित के शरीर पर सिगरेट दागी जाती है। पीड़ित युवक के परिजन डरकर आरोपियों को 40 जहार रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर देते हैं। लेकिन साथ ही परिजन मामले की शिकायत पुलिस से भी करते हैं। जिसके बाद झांसी पुलिस ने दबिश देकर पीड़ित युवक को सकुशल बरामद कर लिया और तीन आरोपियों को भी मौके से गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने तीन आरोपियों को किया गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में महानगर निवासी नंदनपुरा के आवास विकास निवासी डॉ. विक्रम सक्सेना पुत्र वेदप्रकाश, पूंछ थाना क्षेत्र के गांव काशीपुरा के रहने वाले अनुराग यादव पुत्र गोकुल प्रसाद और पूंछ के तालाब मोहल्ला निवासी सुलेमान पुत्र दीनमोहम्मद को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि डॉ. विक्रम ज्ञानस्थली पब्लिक स्कूल का प्रिसिंपल और अनुराग यादव जालौन के टंडवा के राजबाई शिवबालक सिंह महाविद्यालय का प्रबंधक है। वहीं पठौरिया मोहल्ले में रहने वाले विनोद कारियन, शिवाजी नगर राजपूत कॉलोनी में रहने वाले रामजी यादव और मोंठ में मस्जिद के पास रहने वाला आशू यादव उर्फ शैलेंद्र अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। एसएसपी राजेश एस ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी डॉ. विक्रम सक्सेना स्कूल के साथ स्किल फीड फाउंडेशन नाम का एनजीओ चलाता है।

कंपनी फंडिग को लेकर हुए ठगी का शिकार
इस दौरान डॉ. विक्रम को बताया गया कि बिहार की एक कंपनी इनकम टैक्स बेचना चाहती है। इसलिए वह एनजीओ को 10 करोड़ की फंडिंग देना चाहती है। इस मामले को लेकर डॉ विक्रम ने अपने साथी विनोद के साथ मिलकर आशीष पाठक से बात की। बातचीत होने के बाद ये दोनों आशीष से मिलने के लिए लखनऊ पहुंच जाते हैं। इस दौरान डॉक्टर विक्रम के साथ विनोद कोरियन, रामजी यादव और अनुराग यादव भी लखनऊ आते हैं। बता दें कि इस पूरे मामले में आशीष मीडिएटर की भूमिका में था। लखनऊ में मीटिंग होने के बाद प्रोसेसिंग फीस के लिए 4 लाख रुपए मांगे जाते हैं। जिस पर डॉ. विक्रम ने किसी शुभम गर्ग के खाते में यह रकम जमा करा देते हैं। इस दौरान शुभम गर्ग उनसे बताते हैं कि कंपनी का एक आदमी आ रहा है, लेकिन कोई नहीं आया।

4 लाख रुपए की कर रहे थे डिमांड
इस दौरान सभी लोग लखनऊ में ही रुकते हैं और अपने साथ मीडिएटर आशीष को भी रोक लेते हैं। इसके बाद उन चारों का उस कंपनी से संपर्क टूट जाता है तो उन्हें अहसास होता है कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं। इसके बाद चारों आशीष कुमार से पैसे की डिमांड करने लगते हैं। पैसे देने से मना करने पर वह आशीष को जबरन झांसी ले आते हैं और घटना को अंजाम देते हुए 4 लाख रुपए की मांग करते हैं। अपहृत आशीष पाठक बिहार के भोजपुर के किशनपुरा गांव का रहने वाला है। आशीष के मामा की तहरीर के आधार पर पुलिस उसकी तलाश में जुट गई थी।

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