
अयोध्या (Uttar Pradesh) । अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई सीबीआई की विशेष अदालत में चली है। आरोपियों के वकील ने दलील दी कि लॉकडाउन के चलते सभी लोगों से संपर्क नहीं हो पाया। इसलिए स्थगन आदेश दिया जाए, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए चार जून नई तारीख दी है। बता दें कि आज विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी समेत 32 आरोपियों को गवाही के लिए तलब किया था। वहीं, अब इस मामले में पूर्व भाजपा सांसद डॉ. राम विलास वेदांती की एक जून को सीबीआई लखनऊ की विशेष कोर्ट में पेशी है। लेकिन, आज उन्होंने कहा कि मैं पहले से कहता आ रहा हूं कि, हां हमनें ढांचे को तोड़ा। लेकिन, मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर के खंडहर को तोड़ा था। नए भव्य मंदिर के निर्माण के लिए इसे ध्वस्त किया। कारण हमारे हिंदू समाज में परम्परा है कि भव्य भवन के निर्माण के पहले उस स्थान पर के जर्जर भवन को गिरा कर साफ करते हैं। हमने वही किया।
वेदांती ने उठाया सवाल
वेदांती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब विवादित स्थल को राम मंदिर मान कर फैसला सुना दिया तो सीबीआई कोर्ट में ढांचा विध्वंस का मुकदमा चलने का कोई औचित्य नहीं है। पहले भी उस स्थल से मंदिर के पुरावशेष मिले तो बाबरी मस्जिद के पक्षकारों ने आरोप लगाया था कि वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) ने इसे रखवा दिया। उसके बाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल की जब खुदाई करवाई तो सारे पुरावशेष मंदिर के निकले। मस्जिद का कोई चिन्ह नहीं निकले। इसके आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया।
49 आरोपी बनाए गए थे, 32 बचे जीवित
28 साल पहले हुए बाबरी विध्वंस केस में छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में थाना राम जन्मभूमि में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच करते हुए 49 आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोपियों में 32 जीवित हैं, जबकि 19 की मौत हो चुकी है।
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