
आगरा: उत्तर प्रदेश की ताजनगरी में कुछ दिनों पहले विकास के लिए भटक रहे लोगों ने अनोखे तरीके से विरोध किया था। नाराज लोगों ने कॉलोनियों के नाम घिनौना नगर, नरक पुरी, दुर्गंधशील कॉलोनी और बदबू विहार रख दिया था। इसके साथ ही घर के बाहर मकान बिकाऊ के पोस्टर लगा दिए थे। शहर की बनी अवधपुरी कॉलोनी का नाम लोगों ने नरकुपरी रख दिया, पंचशील कॉलोनी का नाम रखा दुर्गंधशील कॉलोनी और मान सरोवर का नाम नाला सरोवर रखा था। यह मामला जब मीडिया में सुर्खियां बना तो आगरा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने इन कॉलोनियों के हालात सुधारने की जगह लोगों द्वारा बदले नाम के पोस्टर बैनर फाड़ दिए। इसी से आक्रोशित लोगों ने एक बार फिर कॉलोनियों के नाम बदल दिए हैं।
लोगों ने पांच कॉलोनियों के रखे नए नाम
क्षेत्रीय लोगों द्वारा कॉलोनी के बदले नाम उनकी समस्याओं को बयां कर रहे हैं। शहर के अवधपुरी के दौरेठा क्षेत्र में गंदगी, सड़कों पर गड्ढे और जलभराव आदि समस्याओं से जूझ रहे लोगों ने विरोध का अनूठा तरीका अपनाया है। यहां के लोगों ने फिर से कॉलोनियों के नाम रख दिए है। एडीए द्वारा फाड़े गए पोस्टर के बाद लोगों ने परेशान नगर, डेंगू विहार, बीमारी विहार, गंदा नाला विहार और गंदगी पुरम रखा है। इतना ही नहीं इस बार भी लोगों ने अपने घरों पर मकान बिकाऊ का पोस्टर भी लगाया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 14 साल से नारकीय हालात में रह रहे हैं। लोगों ने कॉलोनियों के नाम बदले तो एडीए ने पोस्टर फाड़ दिए। बैनर और पोस्टर फाड़ने की जगह कॉलोनियों में व्याप्त समस्याओं के समाधान की सुध तो लेती लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
एडीए के सचिव ने लोगों को दी थी चेतावनी
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि सोमवार को आगरा विकास प्राधिकरण के अधिकारी दौरेठा में पहुंचे थे। वहां पर नरकपुरी, दुर्गंधशील कॉलोनी, कीचड़ नगर, नाला सरोवर, घिनौना नगर के पोस्टर लगे थे तो उनको फाड़ दिया। इतना ही स्थानीय लोगों की समस्याओं के समाधान की जगह आगरा विकास प्राधिकरण के सचिव ने लोगों को चेतावनी भी दी थी कि दोबारा ऐसे नामों वाले पोस्टर ना लगाएं। उसके आगे उन्होंने कहा था जब टैक्स नहीं देंगे तो विकास कार्य कैसे होगा लेकिन बुधवार को लोगों ने फिर से कॉलोनियों के नए नामों के पोस्टर-बैनर लगा दिए हैं। वहीं एडीए के अधिकारियों के द्वारा इस रवैये से लोगों में आक्रोश है।
आगरा: लोगों ने घिनौना नगर और बदबू विहार रखा कालोनियों का नाम, कहा- 14 साल से भटकने को हैं मजबूर
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