ताजमहल के 22 कमरों को लेकर विवाद लगातार जारी है। इनको लेकर लगातार दावा किया जा रहा है कि इनमें देवी देवताओं की मूर्ति, शिलालेख हैं। यह चर्चा उस दौरान सामने आई जब इतिहासकार पीएन ओक की किताब 'ट्रू स्टोरी ऑफ ताज' लोगों के सामने आई।
आगरा: भारत में ऐसी कई मस्जिद और मंदिर हैं जिन पर सवाल खड़े होते रहे हैं। इन दिनों ताजमहल को लेकर काफी चर्चाएं हो रही है। एक पक्ष इसे हिंदू मंदिर बताने में लगा हुआ है। कोई इसे शिवमंदिर तो कोई इसे तेजोमहालय बता रहा है। इसको लेकर एक याचिका भी दायर की गई है जिसमें ताजमहल में मौजूद 22 कमरों को खोलने की मांग की गई है। इन कमरों को खोलने की मांग के पीछे का कारण है कि पता लग सकते इनके अंदर देवी देवताओं की मूर्ति और शिलालेख हैं या नहीं।
मुगलकाल से बंद है कमरे
ताजमहल के 22 कमरे काफी समय से बंद हैं। इतिहासकार बताते हैं कि मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे हैं। यह मुगलकाल में बंद किए गए थे जो अभी तक बंद हैं। आखिरी बार इन्हें 1934 में खोला गया था। उस दौरान भी उन्हें सिर्फ निरीक्षण के लिए खोला गया था। हालांकि बाद में उन्हें फिर से बंद कर दिया गया। ताजमहल की फर्श और यमुना की ओर बनी दो सीढियां जिनके ऊपर लोहे का जाल बिछाया गया है। कहा जाता है कि 40 से 45 साल पहले तक यहां जाने को लेकर रास्ता था। लेकिन बाद में उसे भी बंद कर दिया गया।
इन कमरों को खोलने से हो सकता है नुकसान
ताजमहल की संगमरमर की संरचना की पहली मंजिल पर ही यह कमरे स्थित हैं। यह ऊपरी मंजिल की ओर जाने वाली 2 सीढियां शाहजहां के समय से ही बंद हैं। ऊपरी मंजिल पर इन कमरों के फर्श और संगमरमर की दीवारों को देखा जा सकता है। इतिहासकार बताते हैं कि ताजमहल के बेसमेंट में जो कमरे बने हुए हैं वह मार्बल के बने हैं। कहा जाता है कि अगर तहखाने में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है तो वो कैल्शियम कार्बोनेट में बदल सकती है। कार्बन डाइऑक्साइड मार्बल को पाउडर के रूप में देना शुरू कर देते हैं। इसकी वजह से दीवारों को नुकसान पहुंच सकता है। लिहाजा ताजमहल की दीवारों को नुकसान से बचाने के लिए यहां के तहखानों को बंद कर दिया गया है।
क्या है पूरा विवाद
भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर की है। इसमें ताजमहल के नीचे 22 कमरों को खोलने की मांग की है। इनके खोलने की मांग के पीछे का कारण यह बताया गया है कि इससे पता लग सकेगा यहां देवी, देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख हैं या नहीं। ताजमहल या तेजोमहालय को लेकर विवाद उस दौरान शुरू हुआ जब इतिहासकार पीएन ओक की किताब 'ट्रू स्टोरी ऑफ ताज' लोगों के सामने आई। इस किताब में ऐसे कई दावे किए गए जो बताते थे कि यहां शिव मंदिर है। इस किताब में राजा जय सिंह के फरमान का जिक्र करते हुए यहां गणेश, कमल के फूल और सर्प के आकार की आकृतियों को लेकर भी दावा किया गया।
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