
कानपुर (Uttar Pradesh). सपा अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने गुरुवार को कानपुर में नागरिकता कानून पर हुई हिंसा में मारे गए तीन युवकों के परिजनों से मुलाकात की। अखिलेश ही ने तीनों के परिवार को 5-5 लाख की आर्थिक सहायता दी। साथ ही उन्होंने कहा, सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बीजेपी सरकार के इशारे पर हमला किया गया। अगर हिंसा की जांच सुप्रीम कोर्ट के जजों की कमेटी से कराई जाए तो सच सामने आ जाएगा। बीजेपी सीएए के नाम पर देश को बांटने का काम कर रही है। ये बिल्कुल अंग्रेजों की नीति की तरह है, बांटो और राज करो।
उन्होंने कहा- दिसंबर 2019 में बीजेपी सरकार के 300 विधायकों ने सीएम योगी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसके तुरंत बाद ही प्रदेश में हिंसा कराई गई। अब सभी चुप हैं और अपना-अपना अस्तित्व बचाने में जुटे हैं। हिंसा प्रदेश सरकार व अफसरों की नाकामी का उदाहरण है।
कानपुर में हुई हिंसा में मारे गए थे 3 शख्स
20 दिसंबर 2019 को बाबूपुरवा के ईदगाह मैदान में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर पथराव हुआ। कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले दाग कर स्थित पर काबू पाया था। हिंसा में मुंशीपुरवा के मोहम्मद सैफ, मोहम्मद आफताब और बेगमपुरवा के रईस की जान गई थी। प्रशासन ने 16 प्रदर्शनकारियों को 4.22 लाख की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई का नोटिस भी भेजा है।
आटो चालक के परिजनों को दी थी मदद
अखिलेश ने कुछ दिन पहले नागरिकता कानून पर हिंसा में मारे गए ऑटो चालक वकील अहमद के घर जाकर उनके परिजनों को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी थी। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था, यूपी में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले महीने हुए प्रदर्शन के दौरान मारे गए सभी लोगों की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई। बता दें, बीते दिनों सीएए को लेकर यूपी में हुई हिंसा में कुल 21 लोगों की मौत हुई। जिसमें सबसे ज्यादा मेरठ में 6 लोगों की मौत हुई।
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