
गोरखपुर. यूपी के गोरखपुर में एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) परिसर में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम के शिलापट उखाड़कर फेंके जाने का मामला सामने आया है। इसकी जानकारी मिलते ही सपा समर्थकों में आक्रोश फैल गया। सपा नेता प्रहलाद यादव ने इसे पूर्व मुख्यमंत्री का अपमान बताते हुए कार्यदायी संस्था पर कार्रवाई और शिलापट को स्थापित करने की मांग की।
प्रहलाद यादव ने कहा कि सपा सरकार में मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने गोरखपुर में एम्स बनाने के लिए सबसे कीमती जमीन हस्तांतरित करवाई। ताकि गोरखपुर व आसपास की जनता को ईलाज कराने के लिए लखनऊ-दिल्ली न भटकना पड़े। आज उसी मुख्यमंत्री के नाम का शिलापट्ट उखाड़कर फेंक दिया गया। इससे बड़ा दुर्भाग्य प्रदेश का और क्या होगा। यह सब बदले की भावना के अंतर्गत किया गया है।
बता दें, पूर्व की सपा सरकार ने दावा किया था कि एम्स के लिए जमीन सपा सरकार में ही दी गई। इसी वजह से 30 दिसंबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री राधेश्याम सिंह के नाम का शिलापट एम्स परिसर में लगाया गया था। इस शिलापट पर एम्स गोरखपुर को मूर्त रूप देने और प्रदेश की जनता को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए जमीन के स्थानांतरण की सूचना लिखी थी।
उस समय अखिलेश ने कहा था कि हमारी सरकार ने एम्स के लिए मुफ्त में जमीन मुहैया कराई। सभी जानते हैं कि गोरखपुर में जमीन कितनी महंगी है और यह मिलना कितना मुश्किल। ऐसे में जनता तय करे कि एम्स लाने में किसका योगदान है। वहीं, मामले को लेकर एम्स के डिप्टी डायरेक्टर एनआर विश्नोई ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। एम्स प्रशासन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
मोदी ने गोरखपुर एम्स के लिए इन्हें दिया था क्रेडिट
पीएम मोदी ने एम्स का शिलान्यास साल 2016 में किया था। इस दौरान मोदी ने एम्स को गोरखपुर लाने का पूरा क्रेडिट वहां के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को दिया था। उन्होंने कहा था कि आपने (जनता) जो सांसद भेजे हैं, वो आपके हक के लिए हमसे भी लोहा लेते रहते हैं।
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