
लखनऊ (Uttar Pradesh). समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को नागरिकता कानून पर हिंसा में मारे गए ऑटो चालक वकील अहमद के घर पहुंचे और पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, यूपी में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले महीने हुए प्रदर्शन के दौरान मारे गए सभी लोगों की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई। बता दें, बीते दिनों सीएए को लेकर यूपी में हुई हिंसा में कुल 21 लोगों की मौत हुई। जिसमें सबसे ज्यादा मेरठ में 6 लोगों की मौत हुई।
हिंसा में मारे गए सभी लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद देगी सपा
उन्होंने बीजेपी ने लोगों को बरगलाने के लिये सीएए के पक्ष में अभियान शुरू किया है। बता दें, वकील अहमद की मौत लखनऊ में 19 दिसम्बर 2019 को हुई हिंसा के दौरान हुई थी। यही नहीं, सपा ने हिंसा में मारे गए सभी लोगों के परिवार या मृतक आश्रितों को पांच लाख रूपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। साथ ही अखिलेश ने कहा, सपा एनपीआर का फार्म न भरकर 'सत्याग्रह' करेगी। हर वर्ग, जाति और धर्म के लोग सीएए और एनपीआर के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। भाजपा जानती है कि उसका फैसला गलत और संविधान के खिलाफ है।
बीजेपी समाज को बांटकर कर रही राजनीति
अखिलेश ने कहा, वकील लखनऊ में हिंसक प्रदर्शन में शामिल नहीं था। सरकार को जांच करनी चाहिये कि किसकी गोली लगने से उसकी मौत हुई। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस के पास है। मैं वकील के परिजन को वित्तीय सहायता, मकान और नौकरी देने की मांग करता हूं। साथ ही हिंसा में मारे गये सभी लोगों के परिजन को समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। पूर्व सीएम ने सवाल पूछते हुए कहा, अगर सरकार दूसरे देश से आये हुए व्यक्ति को अपनी नागरिकता देना चाहती है तो फिर मुसलमानों को इससे महरूम क्यों रख रही है। ऐसा इसलिये क्योंकि बीजेपी समाज को बांटकर राजनीतिक खेल खेलना चाहती है। सीएए पर अभियान चलाकर भाजपा लोगों को क्या बताएगी? वह हमें संसद में अपनी दलीलों से संतुष्ट नहीं कर सकी तो अब वह लोगों को भ्रमित करने निकल पड़ी।
यूपी पुलिस पहले ही कह चुकी है ये बात
बता दें, यूपी पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि उसकी गोली लगने से एक भी प्रदर्शनकारी की मौत नहीं हुई। लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया कि बिजनौर में 'आत्मरक्षा' में चलायी गयी गोली से एक प्रदर्शनकारी की मौत हुई।
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