यहां शराबी बंदर को दी गई उम्र कैद की सजा, किया था ये गुनाह;अब सलाखों के पीछे बीतेगी पूरी जिंदगी

Published : Jun 15, 2020, 07:46 PM IST
यहां शराबी बंदर को दी गई उम्र कैद की सजा, किया था ये गुनाह;अब सलाखों के पीछे बीतेगी पूरी जिंदगी

सार

शराब का लती और बेहद खूंखार हो चुका ये बंदर इस समय कानपुर के प्राणी उद्यान में सजा काट रहा है। 250 से अधिक लोगों को काट चुके इस बंदर को यह सजा मिली है, कि वह अपनी बाकी की जिन्दगी सलाखों के पीछे बिताए।

कानपुर(Uttar Pradesh). क्या आपने कभी किसी बंदर की उम्रकैद की सजा के बारे में सुना है। अगर नहीं सुना है तो आइये आज आपको बताते हैं, कि आखिर कैसे और क्यों एक बंदर को उम्रकैद की सजा हो गई। शराब का लती और बेहद खूंखार हो चुका ये बंदर इस समय कानपुर के प्राणी उद्यान में सजा काट रहा है। 250 से अधिक लोगों को काट चुके इस बंदर को यह सजा मिली है, कि वह अपनी बाकी की जिन्दगी सलाखों के पीछे बिताए।

कानपुर प्राणी उद्यान के अस्पताल परिसर में एक बदंर पिंजरे में बंद है। इस बंदर का नाम कलुआ है। इसे मिर्जापुर से पकड़ कर यहां लाया गया है। मिर्जापुर में यह बंदर आतंक का पर्याय बन गया था। आलम यह था कि सरकारी आंकड़ों में इसने ढाई सौ से अधिक लोगों को काटा। इसमें एक शख्स की मौत भी हो गई थी। बंदर के बढ़ते आतंक के चलते इसको पकड़ने के लिए वन विभाग और चिड़ियाघर की टीम लगाई गई। काफी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने बंदर को पकड़ने में कामयाबी हासिल की।

3 साल तक आइसोलेशन में रहा बंदर 
मिर्जापुर में इस बंदर को पकड़ने के बाद इसे कानपुर प्राणी उद्यान में भेज दिया गया। जहां से काफी समय तक आइसोलेशन में रखा गया। पिंजड़े में कैद बंदर की 3 साल से गतिविधियों को डॉक्टर और विशेषज्ञ आब्जर्व कर रहे हैं लेकिन इसके व्यवहार में अभी तक किसी भी तरह की नरमी या सुधार देखने को नहीं मिला है। जिसके चलते इसे ताउम्र पिंजड़े में ही कैद रखने का फैसला लिया गया है।

शराब का लती है ये बंदर 
मिर्जापुर में इस बंदर को एक तांत्रिक ने अपने पास पाला था, जो खुद तो शराबी था ही साथ ही इस बंदर को भी पीने के लिए शराब देता था। तांत्रिक की मौत के बाद बंदर बेसहारा हुआ तो उसने तांडव मचाना शुरू कर दिया। चिड़ियाघर के डॉ मो नासिर ने कहा कि कलुआ को यहां लाए हुए 3 साल हो गए है। तब से ही वह पिंजडे में बंद है। इतने दिनों तक अकेला रहने के बाद भी उसकी आदतों में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।

जंगल मे छोड़ना संभव नहीं 
डॉ मो नासिर ने बताया कि बंदरों की औसत उम्र 10 साल की होती है। इसको अब जंगल में छोड़ना सम्भव नहीं दिख रहा है। आशंका है कि जंगल में छोड़ने के बाद यह फिर से आबादी में आ जाएगा और लोगों को नुकसान पहुंचाएगा। ऐसे में अब इसे हमेशा यहीं पिंजड़े में ही रहना पड़ेगा।
 

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