सरकारी क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा, इन 3 फायदों की वजह से किसानों का हो रहा मोहभंग

अलीगढ़ के सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां किसान क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के बजाए प्राइवेट लोगों से सौदा करना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं। इससे किसानों को मिल रहे तिहरे फायदे का जिक्र भी वह कर रहे हैं। 

अलीगढ़: बाजार में इन दिनों गेहूं के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके चलते ही ज्यादातर गेहूं क्रय केंद्रो पर सन्नाटा पसरा हुआ है। अलीगढ़ में 99 क्रय केंद्रों पर तकरीबन 3 सप्ताह से सन्नाटा पसरा है। किसान यहां की अपेक्षा प्राइवेट लोगों को गेहूं बेचना पसंद कर रहे हैं। इसका एक कारण और भी है। किसान बताते हैं कि उन्हें सरकारी केंद्रों पर फसल का भुगतान सही समय पर नहीं होता है जबकि प्राइवेट लोग उन्हें नगद भुगतान कर देते हैं। इसी के साथ उन्हें फसल का अच्छा रेट भी मिल जाता है। 

क्रय केंद्र की हकीकत है कुछ और

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सरकार की ओऱ से इस साल गेहूं का न्यूनतम मूल्य एमएसपी 2015 रुपए प्रति कुंटल रखा गया है। इसी के साथ मूल्य भुगतान के लिए 72 घंटे का समय रखा है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सरकार की ओर से निर्धारित समय पर किसानों को मूल्य का भुगतान नहीं हो पा रहा है। लोगों का कहना है कि भुगतान में उन्हें कई दिन लग रहे हैं। इसके चलते वह प्राइवेट लोगों को गेहूं बेच रहे हैं। वहां उन्हें अच्छा रेट मिल रहा है और नगद भुगतान भी हो जाता है। इसके चलते धनीपुर मंडी, अतरौली, इगलास, छर्रा, हरदुआगंज, गभान, खैर आदि जगहों पर गेहूं की अच्छी खरीद हो रही है। 

इन कारणों से हो रहा मोहभंग

किसानों का कहना है कि वह प्राइवेट लोगों को गेहूं बेंचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसके साथ ही लोग उनके घर से गेहूं ले जा रहे हैं और तत्काल भुगतान कर रहे हैं। लिहाजा उन्हें तिहरा फायदा हो रहा है और परेशानियां कम हो रही हैं। जबकि सरकारी क्रय केंद्रों पर उन्हें नुकसान के साथ ही ज्यादा समय और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि सरकारी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। 

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