सिराथू विधानसभा से विधायक पल्लवी पटेल के खिलाफ एसडीएम की ओर से जारी नोटिस को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। मामले में जांच को लेकर भी कई सवाल खड़े किए गए हैं। कोर्ट ने कहा क्या आयोग का इरादा जनप्रतिनिधि के उत्पीड़न का था?
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिराथू विधानसभा से विधायक पल्लवी पटेली के खिलाफ जारी एसडीएम सिराथू की नोटिस को रद्द कर दिया है। इसी के साथ याची विधायक के खिलाफ लगे आरोप कि उसने नामांकन फॉर्म में गलत सूचना दी और आपराधिक केस को छिपाया, इसको लेकर जांच का निर्देश दिया है। कोर्ट की ओर से कहा गया कि जांच अधिकारी डिप्टी कमिश्रनर की रैंक के नीचे का अधिकारी नहीं होना चाहिए।
'पहले शिकायत की सत्यतता की भी हो जांच'
इस आदेश को जस्टिस सुनीता अग्रवाल व जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता पल्लवी पटेल की अपील पर पारित किया है। मामले में कोर्ट ने दिलीप पटेल व अन्य द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग से की गई शिकायत, उसको लेकर आयोग, डीएम और एसडीएम द्वारा की गई कार्रवाई को भी गलत माना है। मामले को लेकर याची की ओर से सीनियर एडवोकेट अनिल शर्मा व सरोज यादव तथा विपक्ष की ओर से अधिवक्ता राकेश पांडेय के द्वारा बहस की गई थी। बहस के बाद कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी मामले की जांच से पहले शिकायत की सत्यता की भी जांच करें।
जांच को लेकर उठाए गए कई सवाल
मामले में कोर्ट की ओर से सवाल किया गया कि जनप्रतिनिधि को कैसे उप जिला मजिस्ट्रेट के जरिए नोटिस जारी किया गया। आपको बता दें कि सिराथू विधायक पल्लवी पटेल के नामांकन को लेकर हुई शिकायत के मामले में जारी नोटिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से तीखी नाराजगी चुनाव आयोग की कार्रवाई पर जारी की गई है। कोर्ट ने कहा कि कैसे उप जिला मजिस्ट्रेट के जरिए नोटिस जारी हुआ और आयोग ने खुद क्यों जांच नहीं की? आखिर उफ जिला मजिस्ट्रेट से क्यों जांच करवाई जा रही है, क्या आयोग का इरादा जनप्रतिनिधि का उत्पीड़न किए जाने का है? याची पल्लवी पटेल की ओर से कहा गया कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव हराने के बाद उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।
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