यूपी में SC/ST आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष बढ़ाने के प्रस्ताव को मिली मंजूरी

इस विधेयक के पारित होने से अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण की सीमा दस वर्ष के लिए बढ़ गई है। वर्तमान आरक्षण 25 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा है। इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा से पारित संशोधन राज्य विधानसभा से भी सर्वसम्मति से पारित हो चुका था।

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। राज्य विधानसभा में सर्वसम्मति से 126वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी प्रदान की गई। इसके बाद से अब राज्य विधानसभाओं में एससी एसटी का प्रतिनिधित्व 10 वर्ष के लिए बढ़ गया है। यूपी विधानसभा ने एससी-एसटी आरक्षण पर मुहर लगा दी है।

25 जनवरी 2020 को खत्म होती आरक्षण की समय सीमा 
इस विधेयक के पारित होने से अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण की सीमा दस वर्ष के लिए बढ़ गई है। वर्तमान आरक्षण 25 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा है। इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा से पारित संशोधन राज्य विधानसभा से भी सर्वसम्मति से पारित हो चुका था।

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यहां धर्म के आधार पर नहीं मिलता किसी को आरक्षण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सदन में आरक्षण बढ़ाने का विधेयक सदन में पेश हुआ। देश में सभी तरह से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण है। यहां पर धर्म के आधार पर किसी को आरक्षण नहीं मिलता है। हमारी सरकार ने आरक्षण पर बिना भेदभाव के काम किया है। सभी तरह के लोगों को जोडऩे का काम किया है।

साल के आखिरी दिन बनाया रिकार्ड
सीएम ने कहा कि हमने क्षेत्र और भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं किया। इसलिए इसके समर्थन में सभी सदन में आज उपस्थित हैं। लोकसभा में भी सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हुआ है। यहां भी पूरे सदन से अपील करता हूं कि वे इसे सर्व सम्मति से पारित करें। हम लोगों ने 2 अक्टूबर को विशेष सत्र बुलाया था। 26 नवम्बर को विशेष सत्र बुलाया था और आज साल के आखिरी दिन भी विशेष सत्र बुलाकर हमने रिकार्ड बनाया है।

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