अयोध्या: मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- रामचरितमानस-महाभारत काल्पनिक, संत बोले- मानसिक संतुलन ठीक नहीं

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने रामचरितमानस और महाभारत को काल्पनिक बताया।

Asianet News Hindi | Published : Sep 3, 2019 1:22 PM IST / Updated: Sep 03 2019, 07:17 PM IST

अयोध्या. अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने रामचरितमानस और महाभारत को काल्पनिक बताया। इसको लेकर रामनगरी के संतों में भारी आक्रोश है। संतों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रामचरित मानस व महाभारत शाश्वत सत्य हैं। रामचरित मानस का एक-एक अक्षर वेद के समान है। संतों ने कहा, धवन दिवालियापन के शिकार हो गए हैं। उन्हें हमारे ग्रंथों का सम्यक अध्ययन करने के बाद ही कोई टिप्पणी करनी चाहिए। वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने तो उन्हें समाज से बहिष्कृत करने की मांग की है। 

क्या है मामला
मुस्लिम पक्षकर राजीव धवन ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा, महाभारत एक इतिहास है और रामायण एक काव्य है। काव्य तुलसीदास द्वारा कल्पना के आधार पर लिखी गई। इस पर संतों ने कहा कि धवन का मानसिक इलाज होना चाहिए। यह बयान उनकी अज्ञानता को बताता है। तुलसीदास ने अयोध्या में रामायण लिखी। उनकी हस्तलिखित पोथी अयोध्या में मिली। इससे बड़ा प्रमाण और क्या चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष मुकदमा हार रहा है, इसलिए इस तरह की बयानबाजी की जा रही है। 

अयोध्या मामले के हिंदू पक्षकार महंत धर्मदास ने कहा कि मुकदमा हाथ से फिसलता हुआ देखकर उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। पुरातत्व की खोदाई में भी विवादित स्थल पर मंदिर के अवशेष मिले थे। तथ्य व कथ्य सभी कुछ हिंदुओं के पक्ष में हैं, जिसके चलते मुस्लिम पक्ष अब निराश हो चुका है।

विहिप के शरद शर्मा ने कहा कि धर्मग्रंथों व भगवान को काल्पनिक बताना दुर्भाग्यपूर्ण है। राजीव धवन उसी कांग्रेस के सदस्य हैं, जो पहले भी राम व रामसेतु को काल्पनिक बताती रही है। आज बाबरी के समर्थन में खड़े हैं। इनकी बयानबाजी हिंदू विरोधी शक्तियों को ऑक्सीजन देने का काम कर रही है। धर्मग्रंथों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये मंदिर नहीं बनने देना चाहते हैं। इन्हें समाज से बहिष्कृत कर इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

राममंदिर निर्माण की मुहिम चलाने वाले बबलू खान ने कहा, राम हिंदुओं ही नहीं मुसलमानों के भी पूर्वज हैं। कोर्ट में सबूतों के आधार पर फैसला होना है। सबूत राममंदिर के पक्ष में हैं, जिसके चलते मुस्लिम पक्ष द्वेषपूर्ण बयानबाजी कर रहा है। धवन की बयाबाजी धार्मिक उन्माद फैलाने का कारण बन सकती है। लाखों करोड़ों वर्षों से राम की पूजा होती आ रही है। राम सनातन संस्कृति के आधार स्तंभ हैं, रामचरित मानस को काल्पनिक कहना मूर्खतापूर्ण है।

जानें मुस्लिम पक्षकार का क्या है कहना
मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, रामायण, गीता व कुरान हम सभी धर्मग्रंथों का सम्मान करते हैं। मंदिर में पूजा-अर्चना करने नहीं जाते, लेकिन हिंदू धर्म के देवी-देवताओं का पूरा सम्मान करते हैं। सुप्रीम कोर्ट सबूत के आधार पर फैसला देगा। हम फैसले का सम्मान करेंगे।

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