गंगा दशहरा के उपलक्ष्य में अयोध्या में सरयू का विशेष पूजन किया गया। 125 लीटर दूध से अभिषेक किया तो वहीं 600 मीटर की लंबी चुनरी चढाई गई। गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान के साथ सरयू स्नान का विशेष महत्व है।
अयोध्या: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गंगा दशहरा के पर्व में विशेष पूजा अर्चना की गई। इसी कड़ी में रामनगरी अयोध्या में भी गंगा दशहरा के मौके पर सरयू का विशेष पूजन किया गया। सरयू नदी में 125 लीटर दूध और घी से अभिषेक किेया गया। साथ ही 600 मीटर की लंबी चुनरी चढ़ाई गई है। जो लोग गंगा नहीं पहुंच पाए वह सरयू का ही पूजा अर्चना करते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा दशहरा के दिन भागीरथी गंगा को लेकर पृथ्वी पर आए थे इसलिए इसको बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान के साथ सरयू स्नान का विशेष महत्व है।
गंगा दशहरा में श्रद्धालु सरयू की भी करते पूजा
इस मौके पर रामनगरी में रहने वाले संत समाज ने सरयू स्नान कर गंगा दशहरा के दिन सरयू पूजन का विशेष अनुष्ठान किया। संकट मोचन हनुमान के महंत परशुराम दास के नेतृत्व में लगभग दो दर्जन शिष्यों ने माता सरयू का पूजन कर सवा कुंटल दूध से दुग्धाभिषेक किया 600 मीटर लंबी चुनरी माता सरयू को चढ़ाई। चुनरी चढ़ाने के बाद माता सरयू की भव्य आरती उतारी गई। यहां भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु सरयू पूजन में शामिल हुए। गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान कर पूजन अर्चन करने का विशेष फल प्राप्त होता है। गंगा नहीं जा सकते तो सरयू नदी का ही दर्शन पूजन कर स्नान करना उन्हें पुण्य लाभ देता है।
इस दिन किया गया दान पितरों को पहुंचाता शांति
गंगा दशहरा के उपलक्ष्य में माता सरयू को चुनरी चढ़ाई गई है और सवा कुंटल देसी गाय के दूध से दुग्धाभिषेक किया गया है। सरयू और गंगा का अनादिकाल से अस्तित्व है। देव रूप में साक्षी मानकर इनकी पूजा की जाती है। माता सरयु को गंगा दशहरे के उपलक्ष्य में 600 मीटर की चुनरी चढ़ाई गई है और 125 लीटर दूध से माता सरयू का अभिषेक किया गया है। गंगा दशहरा के दिन जो दान किया जाता है वह अक्षुण रहता है। गंगा दशहरे के मौके पर किया गया दानपुण्य में पितरों को भी शांति पहुंचाता है।
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