यूपी की अयोध्या पहला शहर होगा जिसमें जलवायु स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। रामनगरी अयोध्या को जलवायु स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए खाका तैयार किया जा रहा है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में दोबारा वापसी के बाद कई अहम फैसले ले चुकी है। राम नगरी अयोध्या में राममंदिर का बरसों से इंतजार भी खत्म होकर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। राज्य के इस शहर में अब योगी सरकार एक नए तरह से विकास चाहती है। इसलिए यहां पर जलवायु स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने जा रही है। यहां जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बचने के लिए इंतजाम किए जाएंगे। इसे कुछ इस प्रकार विकसित किया जाएगा ताकि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाई जा सके। इसका खाका बनाने की जिम्मेदारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को सौंपी गई है।
प्रदूषण न हो इस वजह से हो रहे इंतजाम
यूपी का पहला शहर अयोध्या होगा जिसमें जलवायु स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें आवास, नगर विकास, वन एवं पर्यावरण, ऊर्जा सहित अन्य विभागों की मदद भी ली जाएगी। इसके अंतर्गत पांच श्रेणियों में विशेष फोकस होगा। राज्य सरकार ने अयोध्या विजन 2047 की परिकल्पना की है। अयोध्या विकास क्षेत्र का दायरा भी 133 वर्ग किलोमीटर से चरणवार बढ़कर 873.37 वर्ग किलोमीटर हो जाएगा। भव्य राम मंदिर बनने के बाद श्रद्धालुओं की होने वाली भारी भीड़ के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाने के साथ ही यहां प्रदूषण न हो इसके इंतजाम किए जा रहे हैं।
इलेक्ट्रिक बसें 45 मिनट में होगी चार्ज
जलवायु स्मार्ट सिटी के अंतर्गरत ऊर्जा व हरित भवन, गतिशीलता एवं वायु गुणवत्ता, शहरी नियोजन ग्रीन कवर एवं जैव विविधता, जल प्रबंधन एवं कचरा प्रबंधन हैं। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए यहां ऊर्जा दक्षता पर विशेष फोकस किया जाएगा। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन पर जोर दिया जाएगा। इतना ही नहीं इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से ग्रीन हाउस गैसों में कटौती लाई जाएगी। यहां चलने वाली बसों की खास बात यह होगी कि यह 45 मिनट में चार्ज हो जाएंगी और 150 किलोमीटर का सफर तय करेंगी।
कचरा प्रबंधन पर होगा सरकार का ध्यान
रामनगरी में कचरा प्रबंधन पर भी सरकार सबसे अधिक ध्यान दे रही है। यहां स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत सफाई व्यवस्था के साथ ही प्रत्येक घर से कचरा उठाने व उसका निस्तारण करने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही नई अयोध्या में ग्रीन बिल्डिंग यानी ऐसे भवन बनाए जाएंगे जहां बिजली की खपत कम हो। इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के भवन पर्यावरण के अनुकूल और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में सहायक होते हैं।
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