
लखनऊ (Uttar Pradesh). अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका होने के बाद अब मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने की तैयारी कर रहा है। साथ ही बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर बाबरी मस्जिद के मलबे को मुसलमानों को सौंपने की गुजारिश करेगा। कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा, हालांकि ये फैसला कमेटी का है, लेकिन इसपर ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड की भी राय ली जाएगी।
जिलानी ने दिया शरियत का हवाला
शरियत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, मस्जिद की सामग्री किसी दूसरी मस्जिद या भवन में नहीं लगाई जा सकती और न ही इसका अनादर किया जा सकता है। कोर्ट ने फिलहाल मलबे के संबंध में कोई फैसला नहीं किया है। कोर्ट ने 1992 में बाबरी के विध्वंस को सिरे से असंवैधानिक माना। इसलिए इसके मलबे और दूसरी निर्माण सामग्री जैसे पत्थर, खंभे आदि को मुसलमानों को दे देना चाहिए। इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देंगे।
जिलानी ने किया सीएए और एनआरसी का विरोध
नागरिक संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध करते हुए जिलानी ने कहा, विरोध प्रदर्शन में हिंसा सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में हुई, इसके पीछे क्या वजह है? यूपी में अघोषित आपातकाल लगा है। सरकार हर विरोध की आवाज का दमन कर रही। मैं सरकार से मांग करता हूं कि जेल में बंद निर्दोष प्रदर्शनकारियों और दूसरे व्यक्तियों को रिहा करने के साथ मृतकों के परिवार को 50 लाख रुपए प्रति व्यक्ति मुआवजा दिया जाए।
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