
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में सरयू-घाघरा नदी उफान पर हैं। जलस्तर बढ़ने के कारण कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। नेपाल के बैराजों से पिछले पांच दिनों से लगातार पानी छोड़ा गया। जिससे कि नदीं तराई इलाकों बाढ़ से प्रभावित हैं। सरयू घाघरा नदी खतरे के निशान को पारकर 123 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुकी है। सरयू-घाघरा नदी इस बार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं के करवा चौथ के व्रत में भी बाधा बन गई है। लेकिन इसके बाद भी यह मुसीबत सुहागिन महिलाओं के हौसले को डिगा नहीं सकी। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सुहागिन महिलाएं बांध पर ही इस बार करवाचौथ का व्रत कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करेंगी।
दो लाख से ज्यादा आबादी बाढ़ से हुई प्रभावित
गुरुवार के दिन करवाचौथ की त्यौहार मनाया जा रहा है। वहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में घरों के अंदर पानी भर गया है। इसे लेकर सुहागिन महिलाओं में निराशा है कि इस बार वह करवाचौथ का व्रत अपने घर में नहीं कर पाएंगी। महिलाओं का कहना है कि वह लोग कई दिनों से बांध पर शरण लेने के लिए मजबूर हैं। क्योंकि उनके घर में पानी भरा हुआ है। इसलिए बांध पर ही वह सब व्रत करेंगी। बाराबंकी जिले की रामनगर, सिरौलीगौसपुर और रामसनेहीघाट तहसील के सैकड़ों गांव के बाढ़ से प्रभावित हैं। करीब 150 गांवों की दो लाख से ज्यादा आबादी पर तबाही का मंजर है।
सुहागिन महिलाएं बांद पर रखेंगी करवाचौथ का व्रत
घर में रखा अनाज और खेतों में लगी फसल सब बर्बाद हो गया है। हजारों लोगों को रेसक्यू कर तटबंधों पर लाया गया है। वहीं हजारों की आबादी अभी भी पानी से घिरे गांवों के घरों में दुबकी हुई है। ऐसी स्थिति में सुहागिन महिलाओं के करवाचौथ व्रत पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। लेकिन इसके बाद भी महिलाए करवाचौथ का व्रत करेंगी। महिलाओं का कहना है कि असमय आई बाढ़ के कारण इस बार वह बांध पर ही इस व्रत को करेंगी। उनका कहना है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाएं, लेकिन वह करवाचौथ का व्रत जरूर रखेंगी।
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