राजधानी के एसजीपीआई को मिली बड़ी सफलता, पहली बार 150 किलो वजन के मरीज में इंप्लांट किया पेसमेकर

उत्तर प्रदेश की राजधानी में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्डियोलॉजिस्ट ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। एसजीपीजीआई में पहली बार 61 साल के पुरूष का 150 किलोग्राम वजन होने के बाद भी मरीज में पेसमेकर इंप्लांट किया गया है। जो चिकित्‍सकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा।

Pankaj Kumar | Published : Apr 9, 2022 4:56 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्डियोलाजिस्ट ने 150 किलोग्राम वजन वाले गंभीर रूप से मोटे मरीज में पेसमेकर लगाया है। इस प्रक्रिया को 61 साल पुरूष में की गई थी, जिसका पूरा हृदय ब्लॉक था। 61 वर्षीय पुरूष लखनऊ के ही रहने वाले है। उनको पांच दिन पहले सांस फूलने की शिकायत थी। वह संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एसजीपीजीआई में आए तब उनका पल्स रेट काफी कम था। इसी वजह से पेसमेकर इम्प्लांटेशन की सलाह दी। लेकिन उनके वजन को देखते हुए इस प्रक्रिया में काफी जोखिम था।

बढ़े वजन और बड़े शरीर में नस को ढूढंना होता है मुश्किल
संजय गांधी में कार्डियोलाजी विभाग की हृदय रोग डॉक्टर के मुताबिक मोटापे के मरीजों में इस प्रक्रिया करने में कई चुनौतियां होती हैं जिसे सभी ने स्वीकर किया। पेसमेकर लगाने के लिए गले की नस में पहुंचना होता। लेकिन मोटापे के मरीजों में एक तो वसा ऊतक और दूसरा उनके शरीर में मोटापे के कारण गर्दन में नस को पंचर करना मुश्किल था। आमतौर पर पंचर करने के लिए पांच सेमी लंबाई की सुई का उपयोग किया जाता है, लेकिन वजन और बड़े शरीर के कारण नस को पंचर करने के लिए एक विशेष बड़ी सुई का उपयोग किया गया।  

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मोटापे से ग्रसित लोगों में पेसमेकर लगाने के कम मामले आते सामने
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख और हृदय रोग विशेषज्ञ ने बताया कि अल्ट्रासाउंड गाइडेड पंचर भी एक तरीका है जिससे नस पंचर किया जाता है। इस तरह की तकनीकें इस प्रकार के रोगियों के समाने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए मद्दगार होती है। दुनिया भर में मोटापे से ग्रसित लोगों में पेसमेकर लगाने के बहुत कम मामले सामने आते हैं। इस प्रक्रिया के सफल होने के बाद मरीज चलने में भी सक्षम है और दो दिनों के अंदर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

जानिए आखिर क्या होता है पेसमेकर
यह एक मेडिकल उपकरण होता है, जिसका संचालन बैटरी के माध्यम से किया जाता है। इसका उपयोग दिल की धड़कनों को नियमित करने के लिए लगाते हैं। उपकरण के दो भाग होते हैं। पहले भाग को पल्स जनरेटर कहा जाता है, जिसमें बैटरी और  इलेक्ट्रॉनकि होता है। जो दिल की धड़कनों को नियंत्रित करता है। तो वहीं दूसरी भाग में तार होते हैं, जो दिल को इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजता है। पेसमेकर का उपयोग उन लोगों के लिए कहा जाता है, जिनकी दिल की धड़कने या तो काफी धीमी चलती हैं या काफी तेज चलती हैं। 

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