उत्तर प्रदेश में सत्ता में लौटने के लगभग दो महीने बाद भारतीय जनता पार्टी संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव करने जा रही है। इसमें अध्यक्ष और महासचिव (संगठन) के पदों सहित शीर्ष पदों पर बदलाव शामिल हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश बीजेपी में अब बड़े सांगठनिक बदलाव होने जा रहे हैं. इनमें यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर नए व्यक्ति को मौका मिलना तय है, तो वहीं यूपी संगठन की सबसे अहम कड़ी महामंत्री संगठन सुनील बंसल को राष्ट्रीय संगठन में जगह दी जा सकती है। बीजेपी सूत्रों की मानें तो सुनील बंसल ने खुद यूपी से जाने की इच्छा जताई है।
सुनील बंसल ने खुद जताई यूपी छोड़ने की इच्छा ?
बीजेपी के सूत्रों की माने तो चुनाव से पहले ही इस तरह की खबरें सामने आ रहीं थीं कि चुनाव के बाद बंसल यूपी बीजेपी के संगठन मंत्री के दायित्व से मुक्त हो जाएंगे। हालांकि, चुनाव के दौरान बीजेपी को पुर्णबहुमत की सरकार बनी है, उसमें बंसल के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता है। बंसल ही वह शख्स थे जिन्होंने यूपी में जहां पर संगठन कमज़ोर होता दिख रहा था वहां जाकर उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी। जिसका सबसे बड़ा रिज़न यहीं रहा कि वो बीजेपी के लिए एक गेमचेंजर साबित हुए। हालांकि, इस दौरान बंसल तो आठ सालों तक अपने पद पर कायम रहे, लेकिन इस दौरान बीजेपी को कई प्रदेश अध्यक्ष मिले। इसमें लक्ष्मीकांत वाजेपयी, महेंद्र नाथ पांडेय, केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्रदेव सिंह ने उनके साथ काम किया। इनमें से कुछ प्रदेश अध्यक्ष ऐसे भी थे। जिनके साथ बंसल की ट्यूनिंग सही नहीं रही। लेकिन इन चुनौतियों के बीच बंसल ने अपने रणनीतिक कौशल का बखूबी परिचय दिया।
भाजपा के लिए बंसल का विकल्प ढूंढना आसान नहीं
बीजेपी के लिए पिछले चार चुनावों से गेमचेंजर साबित होने वाले सुनील बंसल का विकल्प ढूंढना इतना आसान भी नहीं है। बीजेपी के कई नेताओं ने अंदरखाने बातचीत के दौरान यह स्वीकार किया कि बंसल की तरह संगठन मंत्री मिलना काफी कठिन है। वहीं कुछ का कहना है कि बंसल चाह कर भी यूपी को नही छोड़ पायेंगे। उसका कारण ये सामने आ रहा है कि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और बंसल यूपी में पिछले 8 साल है। तो वो यूपी की जनता की रग-रग से वाकिफ है, तो अब देखने वाली बात ये है कि क्या भाजपा बंसल का प्रमोशन करके यूपी में संगठन की कुर्सी किसी और को देगी या फिर इस कुर्सी पर बंसल ही बने रहेंगे। ये तो आने वाला वक्त बतायेगी क्योंकि भाजपा कब क्या फैसला लेगी ये किसी को नही पता होता है।