
गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो वायरल कर मामले को साम्प्रदायिक रंग देने वाले आरोपी सपा नेता उम्मेद पहलवान पर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आने वाली धारा रासुका लगाई गई है। उम्मेद पर बुजुर्ग पिटाई प्रकरण में धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगा है।
फर्जी कहानी बनाकर फेसबुक पर लाइव आकर सुनाई
दरअसल, 5 जून को बुलंदशहर के अनूपशहर में रहने वाले बुजुर्ग अब्दुल समद के साथ मारपीट और दाढ़ी काटने की घटना हुई थी। जिसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। इस पूरे केस में मुख्य आरोपी सपा नेता उम्मेद पहलवान को बनाया गया है। जिसने सबसे पहले अब्दुल समद के मामले को सांप्रदायिक रंग देते हुए फेसबुक लाइव किया था। इतना ही नहीं उसने फर्जी कहानी बनाकर बुजुर्ग के साथ एफआईआर दर्ज तक करा दा थी। इसके बाद यह मामला तेजी से वायरल हो गया और राजनीतिक लोगों के बयान सामने आने लगे। इस घटना के बाद पुलिस ने 14 जून को फेसबुक पर सवाल उठाते हुए मामले की बारीकी से जांच की तो सारी कहानी सामने आ गई।
सोचे-समझे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई थी
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण डॉ. ईरज राजा ने बताया था कि उम्मेद पहलवान ने बिना फैक्ट चेक किए फेसबुक पर लाइव किया। हालांकि उम्मेद पहलवान इसे अपने खिलाफ एक साजिश बता रहा था। केस दर्ज होने के बाद से उम्मेद पहलवान गायब हो गया। इस घटना का कोई सांप्रदायिक पक्ष नहीं है। यह आपसी झगड़े की वजह है। इस मामले को बिना सोचे-समझे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। इस मामले में ट्वीटर सहित द वायर, राणा अय्यूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मस्कूर उस्मानी, सुलैमन निजामी पर शांति भंग करने के लिए भ्रामक संदेश फैलाना की धाराएं लगाई गई हैं। अभी तक मामले में सभी 11 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं।
आपसी झगड़े का है पूरा मामला
FIR में लिखा गया है था कि इस वीडियो में कुछ शरारती तत्वों द्वारा एक बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद सैफी को पीटते हुए जबर्दस्ती दाढ़ी काटते हुए दिखाया गया था। आगे यह भी आरोप लगाया था कि पीटने वाले हिंदू समाज से हैं। वे समद से जबरन जयश्रीराम और वंदे मातरम के नारे लगवाना चाहते थे। इस वीडियो को दुर्भावना से twitter पर प्रचारित किया गया। गाजियाबाद पुलिस ने कहा कि यह घटना का कोई सांप्रदायिक पक्ष नहीं है। यह आपसी झगड़े की वजह है। इस मामले को बिना सोचे-समझे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई
जवाब देने में लापरवाही बरत रहीं सोशल मीडिया कंपनियां
सोशल मीडिया कंपनियां पुलिस के सवालों का कभी कोई जवाब नहीं देती हैं। चूंकि केंद्र सरकार की नई सोशल मीडिया गाइड लाइन आ चुकी है, लिहाजा अब कंपनियां जवाब देने लगी हैं, लेकिन रवैया अभी भी ठीक नहीं है। गाजियाबाद पुलिस का दावा है कि वो दूसरे अन्य मामलों में एक साल में ट्वीट को 26 मेल कर चुकी है, लेकिन किसी का जवाब नहीं दिया। ये मेल 15 जून 2020 से 15 जून 2021 के बीच भेजे गए थे। इसमें फेसबुक को 255 मेल हुए। जवाब 177 मिला। इंस्टाग्राम को 62 मेल किए, जवाब 41 का मिला। वॉट्सऐप 58 मेल भेजे गए, जिनमें से 28 का ही जवाब आया। दूसरी समस्या एक यह भी है कि कंपनियां जवाब देने में तीन महीने तक लगा देती हैं।
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