केंद्र सरकार ने 10 लाख नौकरियों का किया ऐलान, मायावती बोलीं- 'यह घोषणा चुनावी छलावा'

मायावती ने ट्वीट कर कहा कि केन्द्र की गलत नीतियों और कार्यशैली के कारण देश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। ऐसे में जब लोकसभा चुनाव नजदीक है, तब दस लाख भर्ती की घोषणा चुनावी राजनीति से प्रेरित लगती है। उन्होने दलित और पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि समाज के इस वर्ग के लोग गरीबी और बेरोजगारी की मार सबसे ज्यादा झेल रहे है मगर सरकार खामोश है।

Hemendra Tripathi | Published : Jun 14, 2022 11:42 AM IST

लखनऊ: देश में युवाओं के रोजगार को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर सवाल खड़ा करता हुआ नजर आता है। इन सब के बीच मंगलवार को मोदी सरकार लोगों को नौकरी देने की दिशा में बड़ा कदम उठाने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से मंगलवार की किए गए ट्वीट में बताया गया कि मोदी सरकार अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरी देगी। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय से जारी हुए इस ट्वीट के बाद विपक्ष को मानो मोदी सरकार को घेरने का एक नया मौका मिल गया हो। लिहाजा, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा अगले डेढ़ साल में दस लाख भर्ती की घोषणा चुनावी छलावा है।

'चुनावी राजनीति से प्रेरित लगती हैं दस लाख भर्ती की घोषणा'
मायावती ने ट्वीट कर कहा कि केन्द्र की गलत नीतियों और कार्यशैली के कारण देश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। ऐसे में जब लोकसभा चुनाव नजदीक है, तब दस लाख भर्ती की घोषणा चुनावी राजनीति से प्रेरित लगती है। उन्होने दलित और पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि समाज के इस वर्ग के लोग गरीबी और बेरोजगारी की मार सबसे ज्यादा झेल रहे है मगर सरकार खामोश है।

 

केन्द्र की गलत नीतियों के कारण गरीबी चरम पर- मायावती
बसपा अध्यक्ष ने ट्वीट करते हुए कहा कि केन्द्र की गलत नीतियों व कार्यशैली के कारण गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी व रुपए का अवमूल्यन आदि अपने चरम पर है, जिससे सभी त्रस्त व बेचेन हैं। ऐसे में केन्द्र ने अब अगले डेढ़ वर्ष में अर्थात लोकसभा आमचुनाव से पहले 10 लाख भर्ती की घोषणा की है, जो यह कहीं नया चुनावी छलावा तो नहीं है। उन्होने कहा कि 'साथ ही, एससी, एसटी व ओबीसी वर्गों के इससे कई गुना अधिक सरकारी पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं, जिनको विशेष अभियान चलाकर भरने की माँग बीएसपी संसद के अन्दर व बाहर भी लगातार करती रही है। उनके बारे में सरकार चुप है जबकि यह समाज गरीबी व बेरोजगारी आदि से सर्वाधिक दुःखी व पीड़ित है।
 

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