सीएम योगी रखेंगे रामलला गर्भगृह की आधारशिला, राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने बताई पूरी कहानी

एक जून इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है क्योंकि सीएम योगी आदित्यनाथ इस दिन गर्भगृह की आधारशिला रखेंगे। वहीं राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण को लेकर पूरी प्लानिंग बताई है। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने राममंदिर के निर्माण का पूजन किया था।

Asianet News Hindi | Published : May 24, 2022 4:39 AM IST

अनुराग शुक्ला
अयोध्या:
राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद 5 अगस्त 2020 को नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि परिसर पहुंचकर राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था इस आयोजन में देश के कई संत महंतों के साथ आर एस एस के चीफ मोहन भागवत भी मौजूद थे। इसी के बाद राम भक्तों के 500 साल का इंतजार खत्म हुआ और मंदिर की नींव का निर्माण शुरू हो गया। अब 1 जून इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है बुधवार के दिन सीएम योगी आदित्यनाथ रामलला के गर्भगृह की आधारशिला वृहद स्तर पर पूजा -अर्चना के साथ रखेंगे। सुबह 9 बजे से शुरू होने वाला पूजन 2 घंटे चलेगा। रामलला को दिसंबर 2023 को राम भक्त रामलला का दर्शन भव्य मंदिर में करने लगेंगे

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताई मंदिर निर्माण की पूरी योजना
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण का सिलसिलेवार ब्योरा सार्वजनिक करते हुए बताया कि मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) मंदिर और परकोटा (प्राचीर) के निर्माण के लिए ठेकेदार नियुक्त हैं। टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स (टीसीई) परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त हैं और साथ मे चार इंजीनियर हैं। श्री जगदीश आफले पुणे आईआईटी-मुंबई, गिरीश सहस्त्रभुजनी गोवा आईआईटी-मुंबई, जगन्नाथजी औरंगाबाद, अविनाश संगमनेरकर नागपुर ये सभी ट्रस्ट की ओर से स्वयंप्रेरणा स्वेच्छा से सेवा दे रहे हैं । 

पहला परीक्षण हो गया था फेल फिर बाद में बनी दूसरी कार्य योजना
उन्होंने बताया एलएंडटी ने भविष्य के मंदिर की नींव के लिए एक डिजाइन का प्रारूप बनाया था। उसके अनुरूप परीक्षण किया गया था, परंतु आशानुरूप परिणाम नहीं आए तो इस विचार को स्थगित कर दिया गया। यह परीक्षण अगस्त-सितंबर-अक्टूबर, 2020 में किया गया था। उन्होंने बताया नवंबर-2020 के महीने में निदेशक (सेवानिवृत्त)आईआईटी-दिल्ली की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति के अन्य सदस्य निदेशक (वर्तमान)-आईआईटी-गुवाहाटी, निदेशक (वर्तमान)-एनआईटी-सूरत, दिल्ली, मुंबई और चेन्नई के आईआईटी के प्रोफेसर, निदेशक-सीबीआरआई-रुड़की, एलएंडटी और टीसीई की ओर से वरिष्ठ इंजीनियर थे ।निर्माण समिति के अध्यक्ष श्री नृपेंद्र मिश्र की प्रेरणा से यह विशेषज्ञ समिति बनी थी।

जीपीआर सर्वेक्षण कराकर जमीन खोदकर नींव  की शुरू हुई तैयारी
चंपत राय ने बताया जीपीआर सर्वेक्षण नवंबर-2020 के महीने में नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद से अनुरोध किया गया था कि वह निर्माण स्थल पर जमीन का अध्ययन करके और अपनी रिपोर्ट प्रदान करे ताकि नींव के डिजाइन को तय करने में मदद हो सके। एनजीआरआई ने जीपीआर तकनीक का उपयोग करते हुए भू-सर्वेक्षण किया और क्षेत्र की खुली खुदाई करके भूमि के नीचे का मलबा और ढीली मिट्टी को हटाने का सुझाव दिया। यह जीपीआर सर्वेक्षण नवंबर-दिसंबर 2020 में आयोजित किया गया था। उन्होंने बताया निर्धारित मंदिर स्थल और उसके आसपास लगभग छह एकड़ भूमि से लगभग 1.85 लाख घन मीटर मलबा और पुरानी ढीली मिट्टी को हटाया गया। इस काम में करीब 3 महीने (जनवरी-फरवरी-मार्च, 2021) लगे। यह स्थल एक विशाल खुली खदान की तरह दिखता था। गर्भगृह में 14 मीटर की गहराई और उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई वाला मलबा व बालू हटाई गई जिससे एक बड़ा गहरा गड्ढा बन गया।

इंजीनियरिंग मैटेरियल से बनाई गई चट्टानूमा नींव
उन्होंने बताया  मिट्टी को सुदृढ़ करने के लिए रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) का उपयोग चेन्नई आईआईटी के प्रोफेसरों ने इस विशाल गड्ढे को भरने के लिए विशेष इंजीनियरिंग मिश्रण का सुझाव दिया। आरसीसी कंक्रीट को सुझाई गई विधि परत दर परत के रूप में कंक्रीट डालना था। 12 इंच की एक परत को 10 टन भारी क्षमता वाले रोलर द्वारा 10 इंच तक दबाया जाता था। घनत्व मापा जाता था । गर्भगृह में 56 परत और शेष क्षेत्र में 48 परतों को डाला गया। इसे पूरा होने में अप्रैल 2021 से सितंबर 2021 तक लगभग 6 महीने लगे । उक्त फिलिंग को 'मिट्टी सुदृढ़ीकरण द्वारा भूमि सुधार' नाम दिया गया । उन्होंने बताया मानव निर्मित मिट्टी के भीतर एक विशाल मानव निर्मित जो कम से कम 1 हजार वर्षों के लिए दीर्घायु और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बनाई है। उन्होंने बताया अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के मध्य भूमिगत RCC की ऊपरी सतह पर और अधिक उच्च भार वहन क्षमता की एक और 1.5 मीटर मोटी सेल्फ-कॉम्पैक्टेड कंक्रीट RAFT (लगभग 9,000 क्यूबिक मीटर मात्रा में) को 9MtrX 9Mtr के आकार के खंडों में बैचिंग प्लांट, बूम प्लेसर मशीन और मिक्सर का उपयोग करके डाला गया था। अब RCCऔर RAFT दोनों संयुक्त रूप से भविष्य के मंदिर सुपर-स्ट्रक्चर की नींव के रूप में कार्य करेंगे। 

फिर शुरू हुआ मंदिर की फर्श का निर्माण
मंदिर की फर्श का निर्माण कार्य 24 जनवरी 22  को शुरू हुआ और यह अभी भी प्रगति पर है। चंपत राय ने बताया प्लिंथ को RAFT की ऊपरी सतह के ऊपर 6.5 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जाएगा। । प्लिंथ को ऊंचा करने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना के ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक ब्लॉक की लंबाई 5 फीट, चौड़ाई 2.5 फीट और ऊंचाई 3 फीट है। इस कार्य में लगभग 17,000 ग्रेनाइट ब्लॉकों का उपयोग किया जाएगा। सितंबर, 2022 के अंत तक प्लिंथ को ऊंचा करने का काम पूरा होने की अपेक्षा है।

बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से गुलाबी बलुआ पत्थरों का मंदिर में होगा उपयोग
 उन्होंने बताया बहुत शीघ्र गर्भगृह और उसके आसपास नक्काशीदार बलुआ पत्थरों को रखना प्रारम्भ होगा । प्लिंथ का काम और नक्काशीदार पत्थरों की स्थापना एक साथ जारी रहेगी। राजस्थान के भरतपुर जिले में बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों से गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग मंदिर निर्माण में किया जा रहा है। मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान में सिरोही जिले के पिंडवाड़ा कस्बे में नक्काशी स्थल से नक्काशीदार पत्थर अयोध्या पहुंचने लगे हैं। मंदिर के गर्भगृह क्षेत्र के अंदर राजस्थान की मकराना पहाड़ियों के सफेद संगमरमर का प्रयोग किया जाएगा। मकराना संगमरमर की नक्काशी का कार्य प्रगति पर है और इनमें से कुछ नक्काशीदार संगमरमर के ब्लॉक भी अयोध्या पहुंचने लगे हैं।

मंदिर के आयताकार क्षेत्र में बनेगा परिक्रमा मार्ग
उन्होंने बताया मंदिर निर्माण क्षेत्र और उसके प्रांगण के क्षेत्र सहित कुल 8 एकड़ भूमि को घेरते हुए एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा मार्ग परकोटा बनेगा। जो पूर्व भाग में प्रवेश द्वार होगा। इसे भी बलुआ पत्थर से बनाया जाएगा। यह परकोटा भीतरी भूतल से 18 फीट ऊंचा है और चौड़ाई में 14 फीट होगा। इस परकोटा में भी 8 से 9 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा। परकोटा (नक्काशीदार बलुआ पत्थर) के लिए उपयोग किए जाने वाले पत्थरों की मात्रा लगभग 8 से 9 लाख क्यूबिक फीट है। 6.37 लाख घन फीट बिना नक्काशी वाला ग्रेनाइट प्लिंथ के लिए, लगभग 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर मंदिर के लिए 13,300 घन फीट मकराना सफेद नक्काशीदार संगमरमर गर्भगृह निर्माण के लिए और 95,300 वर्ग फुट फर्श और क्लैडिंग के लिए प्रयोग किया जाएगा।

मिट्टी की कटान रोकने के लिए बन रही है रिटेनिंग वॉल
चंपत राय ने बताया मंदिर के चारों ओर मिट्टी के कटान को रोकने और भविष्य में संभावित सरयू बाढ़ से बचाने के लिए दक्षिण ,पश्चिम और उत्तर में रिटेनिंग वॉल का निर्माण भी चल रहा है। सबसे निचले तल पर इस वॉल की चौड़ाई 12 मीटर है और नीचे से इस वॉल की कुल ऊंचाई लगभग 14 मीटर होगी। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि मंदिर के पूर्व से पश्चिम की ओर के स्तरों में 10 मीटर का अंतर है अर्थात पूर्व की ओर से पश्चिम की ओर ढलान है। वर्तमान में सभी गतिविधियां एक साथ प्रगति पर हैं, उदाहरण के लिए, गर्भगृह के चारों ओर प्लिंथ और नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर के ब्लॉकों की स्थापना, पिंडवाड़ा में गुलाबी बलुआ पत्थरों की नक्काशी, मकराना मार्बल्स की नक्काशी और आरसीसी रिटेनिंग वॉल निर्माण आदि। मंदिर का यह निर्माण कार्य निश्चित ही एक इंजीनियरिंग चमत्कार कहा जायेगा ।

यात्रियों के लिए सुविधा केंद्र और राम के प्रिय पात्रों का बनेगा मंदिर
उन्होंने बताया प्रथम चरण में एक तीर्थ सुविधा केंद्र लगभग 25 हजार तीर्थयात्रियों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगा। इसे पूर्व की दिशा में मंदिर पहुंच मार्ग के निकट बनाया जाएगा। इसी के साथ भगवान वाल्मीकि, केवट, माता शबरी, जटायु, माता सीता, विघ्नेश्वर (गणेश) और शेषावतार (लक्ष्मण) के मंदिर भी योजना में हैं और इन्हें कुल 70 एकड़ क्षेत्र के भीतर परन्तु परकोटा के बाहर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में निर्माण किया जायेगा। उन्होंने बताया मंदिर की भूतल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में लंबाई - 380 फीट,भूतल पर उत्तर-दक्षिण दिशा में चौड़ाई - 250 फीट, गर्भगृह पर जमीन से शिखर की ऊंचाई - 161 फीट, बलुआ पत्थर के स्तंभ- भूतल- भूतल से166 फीट,प्रथम तल 144 फीट और दूसरा तल 82 फीट है।

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