
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi adityanath) की ओर से चुनाव से पहले अगल अलग योजनाओं के सहारे राज्य कर्मचारियों, वृद्धों, युवाओं व महिलाओं को पूरा लाभ देने में जुटी हुई है। इसी बीच अब राज्य कर्मचारियों व पेंशनर्स को साल भर में निजी अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक के कैशलेस इलाज (cashless treatment) की सुविधा दिए जाने का शासनादेश भी शुक्रवार को जारी कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद की ओर से पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस योजना लागू करने का आदेश जारी किया गया है।
कैशलेस इलाज की सुविधा के लिए बनाए जाएंगे स्टेट हेल्थ कार्ड
राज्य कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिवार के लोगों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए स्टेट हेल्थ कार्ड बनाए जाएंगे। ऑनलाइन स्टेट हेल्थ कार्ड बनाने की जिम्मेदारी स्टेट एजेंसी फार हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (सर्विसेज) को दी गई है। सभी विभागाध्यक्षों की जिम्मेदारी होगी कि वह अपने विभाग के कर्मियों व पेंशनर्स के स्टेट हेल्थ कार्ड बनवाएं। आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का उपचार कर रहे प्राइवेट अस्पतालों में यह सुविधा दी जाएगी।
सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में भी मिलेगी कैशलेस इलाज की सुविधा
प्रदेश के सरकारी चिकित्सा संस्थानों व मेडिकल कालेजों में भी कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाएगी। यहां प्राइवेट अस्पतालों की तरह इलाज में खर्च होने वाली धनराशि की कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गई है। चिकित्सा शिक्षा विभाग अपने चिकित्सा संस्थानों व मेडिकल कालेजों को धनराशि देने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा 200 करोड़ और जिला अस्पतालों आदि में इलाज कैशलेस इलाज के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग 100 करोड़ रुपये का कार्पस फंड बनाएगा।
कैशलेस चिकित्सा सुविधा के लिए बनाए गए कार्पस फंड से सरकारी चिकित्सालयों को इलाज पर होने वाले खर्चे की 50 प्रतिशत धनराशि दी जाएगी। बाकी 50 प्रतिशत धनराशि उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने पर वित्त विभाग द्वारा दी जाएगी। कैशलेस इलाज की सुविधा के साथ-साथ वर्तमान व्यवस्था के अनुसार इलाज के उपरांत चिकित्सा प्रतिपूर्ति किए जाने का विकल्प भी दिया जाएगा।
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