Inside Story: अयोध्या की चर्चा के बीच CM को गोरखपुर से क्यों मिला टिकट, BJP के दांव के पीछे की पूरी कहानी

भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। एक वक्त था जब इस सीट से योगी आदित्यनाथ ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए अपना प्रत्याशी उतार दिया था। भाजपा की चुनावी रणनीति पर राजनीतिक विश्लेषक इसे ट्रंप कार्ड के तौर पर देख रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 15, 2022 10:43 AM IST / Updated: Jan 15 2022, 04:20 PM IST

दिव्या गौरव त्रिपाठी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के अयोध्या से विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav) लड़ने की अटकलों पर विराम लग गया है। भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta party) ने योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर (Gorakhpur City) से टिकट दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस अयोध्या को 2022 विधानसभा चुनाव के केन्द्र के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की जा रही थी, वहां से योगी आदित्यनाथ को टिकट क्यों नहीं मिला। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़वाने का फैसला लेकर बड़ा दांव खेला है।

वरिष्ठ पत्रकार योगेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि जब योगी के अयोध्या से चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही थी, तब गोरखपुर के आम लोगों में एक तरह का रोष था। दबी जुबान लोग यह तक कह रहे थे कि गोरक्षपीठाधीश्वर को गोरखपुर की राजनीति से दूर करने की साजिश रची जा रही है। ऐसे में वहां के लोगों के मन में अगर ऐसा कोई संदेह बैठ जाता तो उसका सीधा नुकसान भाजपा को होता।

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एक महंत के तौर पर मिलता है अधिक सम्मान
त्रिपाठी कहते हैं, 'योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की जनता के लिए भाजपा नेता से कहीं ज्यादा गोरक्षपीठाधीश्वर के तौर पर महत्व रखते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर होने की वजह से लोग उनका भक्तिभाव के साथ सम्मान करते हैं। आज भी जब योगी गोरखपुर पहुंचते हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि एक स्थानीय और प्रतिष्ठित महंत के तौर पर विशेष महत्व दिया जाता है।' त्रिपाठी के मुताबिक, इस माहौल में अगर वहां के आम लोगों में कोई नकारात्मक संदेह पनपने लगता तो पूरे पूर्वांचल में भाजपा को इसका नुकसान होता।

जब बीजेपी के खिलाफ योगी ने खड़ा किया था प्रत्याशी
इतिहास याद दिलाते हुए त्रिपाठी कहते हैं, 'योगी की उस क्षेत्र में लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2002 में भाजपा ने अपने काफी वरिष्ठ नेता शिव प्रताप शुक्ला को यहां से चुनावी मैदान में उतारा था। लेकिन सीएम योगी से उनके संबंध ठीक नहीं थे। तब योगी ने भारतीय हिंदू महासभा के प्रत्याशी के तौर पर राधामोहन दास को उतारा था।' उन्होंने कहा कि योगी का प्रभाव ही था कि उस चुनाव में शिव प्रताप शुक्ला तीसरे नंबर पर रहे और राधामोहन दास ने चुनाव जीत लिया। उसके बाद से लगातार राधामोहन यहां विधायक हैं। हालांकि बाद में वह भाजपा में ही आ गए थे।

गोरखपुर से राह आसान, पूरे UP को वक्त दे पाएंगे योगी
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पूर्वांचल की 130 विधानसभा सीटों को साधने के लिए योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर से चुनावी मैदान में उतारा गया है। विश्लेषकों के मुताबिक, योगी को चुनाव जीतने के लिए गोरखपुर में कुछ खास मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और ऐसे में स्टार प्रचारक के तौर पर वह पूरे यूपी को समय दे पाएंगे।

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