'कभी खुशी कभी गम' कुछ ऐसी कहानी है हरदोई के नव विवाहित कपल की, पूरा मामला जानने के बाद आप भी करेंगे सराहना

उत्तर प्रदेश के जिले हरदोई में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर हर कोई सराहना कर रहा है। इस मामले में बॉलीवुड फिल्म विवाह की स्टोरी रियल लाइफ में देखने को मिली है। 

हरदोई: कहते है ना कि रील लाइफ और रियल लाइफ में बहुत बड़ा अंतर होता है। लेकिन हरदोई के इस कपल की कहानी देखने के बाद के आज ये पता चल गया कि अगर इंसान के अंदर दृढ़ संकल्प हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। एक ऐसी ही घटना विवाह मूवी जिसमें प्रेम और पूनम की कहानी थी कुछ ऐसी ही कहानी हरदोई में देखने को मिली है। जहां शादी से पहले पैर कटने के बाद बी होने वाली दुलहन ने की शादी।

ये है पूरा मामला
आदित्य की शादी लखीमपुर जिले के पसगवां थाना क्षेत्र के जमुका निवासी रामशंकर की पुत्री सरोजनी के साथ तय हुई और 12 जून 2021 को तिलक भी हो गया था, लेकिन शादी आगे बढ़ती गई। 12 मई, 2022 को शादी होनी थी, लेकिन उसके पहले एक अप्रैल को जहानीखेड़ा जाते समय आदित्य हादसे का शिकार हो गया और उसका एक पैर काटना पड़ेगा। लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती आदित्य को देखने सरोजनी पहुंची तब आदित्य ने उससे कहा कि अब वह उसका सहारा नहीं बन पाएगा, बल्कि उसे (सरोजनी) को ही सहारा देना होगा, इसलिए वह शादी तोड़ दे।

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सरोजनी के घर वाले भी चाहते थे कि बेटी ये रिश्ता तोड़ दें
किसी भी बेटी का पिता ये नहीं चाहेगा कि उसकी शादी एक ऐसे लड़के से हो जो अपाहिज हो, लेकिन होता वहीं है जो गुदरत को मंजूर होता है। सरोजनी ने ने शादी करने की ठान ली और वो टस से मस नहीं हुई। घर वाले शादी को इलसिए मना कर रहे थे उसका कारण था कि आदित्य का एक्सीडेंट हो गया था जिसके बाद उसका पैर काट दिया गया, लेकिन सरोजनी अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुई। अस्पताल में रुककर उसकी सेवा करती रही। आदित्य जब ठीक हो गया तो 27 अप्रैल को उसकी छुट्टी हुई। आदित्य घर चला आया और सरोजनी अपने गांव चली गई। 

आदित्य के पिता ने सरोजनी के पिता को दी ये खबर
आदित्य के पिता कलेक्टर बताते हैं कि '12 मई को शादी होनी थी तो उन्होंने सरोजनी के पिता रामशंकर से फोन करके पूछा कि क्या अब भी वह शादी करेंगे। वह कुछ कहते, उससे पहले ही सरोजनी ने ही कह दिया कि अब वह शादी करेगी तो आदित्य से ही करेगी।' 12 मई को आदित्य बरात लेकर सरोजनी के घर पहुंचा और सरोजनी ने दिव्यांगता का वरण करते हुए आदित्य के साथ सात फेरे लिए और सात जन्मों के लिए एक दूसरे के हो गए। 13 मई को सरोजनी विदा होकर ससुराल आई। उसकी सास पुष्पा बताती हैं कि बहू सरोजनी बेटे का सहारा है और कभी भी उसे अहसास नहीं होने देती है कि उसका एक पैर नहीं है।' इसी पर सरोजनी ना कहा कि वो अपने पति की बैसाखी नहीं बल्की उसका सहारा बनके उसके साथ रहेगी।

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