इस घटना ने फूलन देवी को बना दिया था बैंडिट क्वीन,18 जनवरी को उसमें आएगा फैसला

39 साल पहले कानपुर देहात के बेहमई गांव में गरजी बंदूकों के शोर ने पूरे देश में चंबल की दहशत को कायम कर दिया था। दरअसल मामला ही कुछ ऐसा था। 39 साल पहले 14 फरवरी 1981 को डकैत फूलन देवी व उसके गिरोह ने बेहमई गांव में धावा बोलकर लाइन में खड़ा कर 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था। इसके आलावा आधा दर्जन लोग गोलियां लगने से घायल हुए थे

Asianet News Hindi | Published : Jan 6, 2020 4:19 AM IST / Updated: Jan 06 2020, 06:30 PM IST

कानपुर(Uttar Pradesh ). 39 साल पहले कानपुर देहात के बेहमई गांव में गरजी बंदूकों के शोर ने पूरे देश में चंबल की दहशत को कायम कर दिया था। दरअसल मामला ही कुछ ऐसा था। 39 साल पहले 14 फरवरी 1981 को डकैत फूलन देवी व उसके गिरोह ने बेहमई गांव में धावा बोलकर लाइन में खड़ा कर 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था। इसके आलावा आधा दर्जन लोग गोलियां लगने से घायल हुए थे। इतने लम्बे समय तक मुकदमा चलने के बाद सोमवार को केस का फैसला आने की उम्मीद थी। लेकिन बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत में पुनर्विवचार याचिका दायर कर दी। जिसके बाद अदालत अब 18 जनवरी को उस केस में फैसला सुनाएगी। 

बता दें कि दस्यु सरगना फूलन देवी व उसके गिरोह द्वारा बेहमई गांव में 20 लोगों की गोलियों से भून कर हत्या करने के मामले में अदालत ने 19 दिसंबर 2019 को सुनवाई पूरी कर ली थी। उस समय अदालत ने फैसले के लिए 6 जनवरी की तरीख नियत की थी। लेकिन अब 18 जनवरी को उस केस में अदालत फैसला सुना सकती है। 

बेहमई  कांड से ही फूलन बन गई बैंडिट क्वीन 
इसी बेहमई कांड से फूलन देवी बैंडिट क्वीन बन गई। दरअसल मामला ये था कि फूलन के पिता की 40 बीघा जमीन पर उसके चाचा ने कब्जा कर लिया था। 11 साल की उम्र में फूलन ने चाचा से वह जमीन मांगी। इसके बाद थाने में प्रभाव रखने वाले चाचा ने फूलन पर डकैती का केस दर्ज करा दिया। फूलन को जेल जाना पड़ा। वह जेल में वह वहां बंद डकैतों के सम्पर्क में आई। जेल से छूटने के बाद वह उन डकैतों के दूसरे साथियों से मिली। बस यहीं से फूलन डकैतों के गिरोह में शामिल हो गई। जिसके बाद दूसरी गैंग के लोगों ने फूलन का गैंगरेप किया। इसका बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई के 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था। इसी घटना के बाद फूलन देवी बैंडिट क्वीन के नाम से मशहूर हो गई। 

20 लोगों को लाइन में खड़ा कर मारी थी गोली 
14 फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी व उसके गिरोह ने बेहमई गांव में धावा बोलकर जगन्नाथ सिंह, तुलसीराम, सुरेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह, लाल सिंह, रामअधार सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, बनवारी सिंह, हिम्मत सिंह, हरिओम सिंह, हुकुम सिंह समेत 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बेहमई गांव में बंदूकों का ये शोर देश की संसद तक गूंजा था। 

पांच लोगों पर तय किए गए थे आरोप 
बेहमई गांव के राजाराम सिंह ने दस्यु सुंदरी फूलन देवी समेत 35-36 डकैतों के खिलाफ सिकंदरा थाने में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। साल 2012 में पुलिस की चार्जशीट में भीखा, पोसा, विश्वनाथ, श्यामबाबू व राम सिंह पर आरोप तय किए गए थे। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित की अदालत में चल रही थी। जिसमे 19 दिसंबर को सुनवाई पूरी हो चुकी है। 

नामजद तीन डकैत 38 सालों बाद भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर 
बेहमई कांड में नामजद आरोपी बनाए गए तीन डकैत विश्वनाथ उर्फ अशोक, रामकेश और मान सिंह 39 साल बाद भी फरार चल रहे हैं। पुलिस अभी तक उन्हें तलाश नहीं पाई है। वहीं भीखा, श्यामबाबू व विश्वनाथ जमानत पर हैं। एक आरोपी पोसा अभी भी जेल में बंद है। 

फूलन समेत 15 आरोपियों की हो चुकी है मौत 
पुलिस रिकार्ड के अनुसार इस काण्ड के 15 आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है। जिसमे बेहमई कांड की प्रमुख आरोपी दस्यु सुंदरी फूलन देवी की नई दिल्ली में हत्या हो चुकी है। जालौन के कोटा कुठौंद के रामऔतार, गुलौली कालपी के मुस्तकीम, बिरही कालपी के लल्लू बघेल, बिरही कालपी के ही बलवान, गौहानी सिकंदरा के रामपाल, कालपी के लल्लू यादव,मेतीपुर कुठौद के प्रेम, कोंच के रामशंकर, डकोर कालपी के जग्गन, महदेवा कालपी के बलराम, टिकरी के मोती, चुर्खी के वृंदावन, कदौली के राम प्रकाश व धरिया मंगलपुर के नंदा उर्फ माया मल्लाह की मौत हो चुकी है।
 

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