चीन की सीमा पर तैनात सेना का जवान हुआ शहीद , पिछले साल ही गोली लगने से बेटे की हुई थी मौत

Published : Aug 07, 2020, 12:24 PM ISTUpdated : Aug 07, 2020, 12:25 PM IST
चीन की सीमा पर तैनात सेना का जवान हुआ शहीद , पिछले साल ही गोली लगने से बेटे की हुई थी मौत

सार

देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए यूपी के रहने वाले सेना के एक जवान ने अपनी जान न्यौछावर कर दिया। भारत और चीन के बीच एलएसी पर लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के जवान धर्मपाल की ऑक्सीजन की कमी होने से मौत हो गई । 

जालौन(Uttar Pradesh). देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए यूपी के रहने वाले सेना के एक जवान ने अपनी जान न्यौछावर कर दिया। भारत और चीन के बीच एलएसी पर लद्दाख में तैनात भारतीय सेना के जवान धर्मपाल की ऑक्सीजन की कमी होने से मौत हो गई । उनकी तैनाती लद्दाख में थी। तैनाती के दौरान अधिक ऊंचाई पर आक्सीजन की कमी के चलते धर्मपाल की तबियत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें गंभीर हालात में दिल्ली के आर्मी अस्पताल भेज दिया गया। यहां से उन्हें चंडीगढ़ रेफर किया गया। चंडीगढ़ में धर्मपाल ने 5 अगस्त को अंतिम सांस ली।

जैसारी कला गांव निवासी राजाराम सिंह के 40 वर्षीय पुत्र धर्मपाल सिंह भारतीय थल सेना के आर्टिलरी में हवलदार थे। धर्मपाल सिंह की तैनाती लद्दाख की पहाड़ियों पर थी। पहाड़ों पर ऑक्सीजन की कमी से उनकी हालत बिगड़ गई। हालत गंभीर होने पर उन्हें चंडीगढ़ के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान निधन हो गया।

पिछले साल ही हुई थी बेटे की मौत 
धर्मपाल ने आर्मी में 2001 में ज्वाइन किया था। वह जालौन के डाकोर थाना क्षेत्र के जैसारी कला के रहने वाले थे। 2005 में उनकी शादी हुई। उनके 2 बच्चे हैं। बीते वर्ष धर्मपाल के घर में उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था जब उनके एक बेटे की गोली लगने से मौत हो गई थी। एक जन्मदिन समारोह में हुई हर्ष फायरिंग में उनके छोटे बेटे को गोली लगी थी जिससे उसकी मौत हो गई थी। कुछ ही महीनों बाद अब धर्मपाल की भी मौत हो गई। अचानक उनके निधन की सूचना से परिजन व ग्रामीण स्तब्ध रह गए। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। 

किसान परिवार से थे धर्मपाल 
जैसारी कला गांव निवासी राजाराम सिंह के 40 वर्षीय पुत्र धर्मपाल सिंह भारतीय थल सेना के आर्टिलरी में हवलदार थे। धर्मपाल सिंह की तैनाती लद्दाख की पहाड़ियों पर थी। पहाड़ों पर ऑक्सीजन की कमी से उनकी हालत बिगड़ गई। हालत गंभीर होने पर उन्हें चंडीगढ़ के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के दौरान निधन हो गया। धर्मपाल सिंह की पहली तैनाती वर्ष 2001 में जोधपुर में हुई थी। तीन भाइयों में धर्मपाल सिंह दूसरे नंबर पर थे।  दो भाई महिपाल व इन्द्रपाल गांव में ही खेती करते थे। 
 

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