
बिजनौर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश पुलिस के शीर्ष नेतृत्व के इनकार के बीच बिजनौर पुलिस ने मंगलवार को यह स्वीकार किया कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ जिले के नहटौर में शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई।
सिपाही ने आत्मरक्षा को चलाई थी गोली
पुलिस अधीक्षक (देहात) विश्वजीत श्रीवास्तव ने मंगलवार को बताया कि सीएए के खिलाफ गत शुक्रवार को जिले के नहटौर इलाके में जुमे की नमाज के बाद हिंसक भीड़ ने थाने पर हमला कर दारोगा आशीष तोमर की पिस्तौल छीन ली थी। एक सिपाही ने जब उपद्रवी से पिस्तौल वापस लेने की कोशिश की तो उसने सिपाही पर गोली चला दी। इसमें पुलिसकर्मी बाल-बाल बचा। सिपाही ने आत्मरक्षा में गोली चलायई जो हमलावर उपद्रवी सुलेमान(22) को लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। हालांकि उन्होंने कहा कि एक अन्य उपद्रवी अनस की मौत भीड़ की तरफ चलाई गई गोली लगने से हुई है, उसका पुलिस से कोई लेना-देना नहीं है।
पहले किया गया था यह दावा
पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह समेत तमाम आला अधिकारियों ने दावा किया था कि किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है। पुलिस के मुताबिक प्रदेश में जिन स्थानों पर भीड़ और पुलिस के बीच हिंसक वारदात हुईं वहां खोजबीन में प्रतिबंधित बोर के 700 से ज्यादा खोखे बरामद हुए हैं। इससे स्पष्ट है कि गोलियां प्रदर्शनकारियों ने चलायी थीं।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
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