
सहारनपुर(Uttar Pradesh ). सहारनपुर के देवबंद में इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम ने एक फतवा जारी किया है। इसके अनुसार रमजान के महीने में रोजे के दौरान कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच कराना जायज है। मुस्लिम समाज में रोजे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण की जांच को लेकर शंकाएं हैं और इन शंकाओं को दूर करते हुए दारूल उलूम ने सोमवार को फतवा जारी कर जांच को जायज बताया और स्पष्ट किया कि इस जांच से रोजा नहीं टूटेगा।
दारूल उलूम के मीडिया प्रभारी मुशर्रफ उस्मानी ने बताया कि बिजनौर के एक व्यक्ति ने दारूल उलूम के इफता विभाग से सवाल किया था कि क्या रोजे की स्थिति में कोरोना वायरस की जांच कराई जा सकती हैं? उन्होंने बताया कि इस सम्बध में चार सदस्यीय समिति ने फतवा संख्या एन 549 के माध्यम से सोमवार को अपने जबाव में बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिये नाक और मुहं में रूई लगी स्टिक डाली जाती है।स्टिक पर कोई दवा या कैमिकल नहीं लगा होता, इसलिये इस जांच से रोजे पर कोई असर नहीं पड़ता।.रोजे की हालत में कोरोना वायरस जांच के लिये नाक और हलक का गीला अंश देना जायज है।
घर में ही रह कर करें इबादत
दारुल उलूम के प्रवक्ता मुशर्रफ उस्मानी ने बताया कि दारूल उलूम रमजान से पहले ही लोगों से घरों में रहकर रमजान की सारी इबादत करने की अपील कर चुका है। दारूल उलूम के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने कहा ,‘‘ सारी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है. ऐसे समय में मुसलमानों को ज्यादा सब्र के साथ काम करने की आवश्यकता है।’’
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