शहीदों के नाम रही काशी की देव दीपावली, सम्मान मिलते ही बेहोश हो गई जवान की पत्नी

भोले की नगरी काशी में मंगलवार (12 नवंबर) को धूमधाम से देव दीपावली मनाई गई। इस बार देव दीपावली काशी टू कश्मीर थीम पर मनाई गई। गंगा किनारे कश्मीर के लाल चौका के स्तंभ के साथ दिल्ली के इंडिया गेट का प्रतिरूप देखने को मिला। शीतला और दशाश्मेध घाट पर लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ी।

वाराणसी (Uttar Pradesh). भोले की नगरी काशी में मंगलवार (12 नवंबर) को धूमधाम से देव दीपावली मनाई गई। इस बार देव दीपावली काशी टू कश्मीर थीम पर मनाई गई। गंगा किनारे कश्मीर के लाल चौका के स्तंभ के साथ दिल्ली के इंडिया गेट का प्रतिरूप देखने को मिला। शीतला और दशाश्मेध घाट पर लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ी। 84 घाटों और कुंडों में 11 लाख से ऊपर दिए जलाए गए हैं। बता दें, 2020 में इसे गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल करने की तैयारी है। अयोध्या फैसले को देखते हुए इस बार काशी में सुरक्षा व्यवस्था पहले से ज्यादा चाक-चौबंद दिखी। एसपी सिटी दिनेश कुमार ने बताया, दो ड्रोन कैमरे से 84 घाटों की निगरानी की जा रही है। 129 सीसी कैमरों लगाए हैं।

जब शहीद की पत्नी सम्मान लेते ही हो गई बेहोश
इस बार काशी की देव दीपावली इसलिए भी खास थी क्योंकि इसे शहीदों के नाम किया गया था। मुख्य अतिथि के रुप में राज्यसभा सांसद परिमल नाथवानी, एयर मार्शल राकेश कुमार और ब्रगेडियर हुकुम सिंह पहुंचे। इस दौरान पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान श्याम नारायण यादव की पत्नी प्रमिला को सम्मान भेंट किया गया तो वे भावुक हो उठीं। बेहोश होकर वहीं गिर पड़ीं। जिसके बाद उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के बाद वो ठीक हैं। श्याम नारायण के अलावा शहीद महेश कुमार कुशवाहा, शहीद राजेंद्र गौतम, शहीद हरि बहादुर छेत्री के परिजनों को भी सम्मानित किया गया। 

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क्यों काशी में मनाते हैं देव दीपावली
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर ने देवताओं को स्वर्ग लोक से बाहर निकाल दिया था। सभी देवता त्रिपुरासुर से परेशान होकर बचने के लिए भगवान शिव की शरण में गए। जिसके बाद भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर दिया। जिस दिन इस राक्षस का वध हुआ उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा थी। देवताओं ने त्रिपुरासुर के वध पर खुशी जाहिर करते हुए शिव की नगरी काशी में दीप दान किया। कहा जाता है कि तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव-दिवाली मनाने की परंपरा चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं। इस दिन पूजा-पाठ करने से लंबी उम्र और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

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