पावर आफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष ने बताया कि डीएचएफल कंपनी में डूबे हुए पीएफ के धन की वापसी को लेकर सरकार और पावर कारपोरेशन चुप है जिससे कार्मिको में मन में संदेह उत्पन होना स्वाभाविक है। उनके धन को नियमों के विपरीत निवेश करने की जिम्मेदारी से पावर कारपोरेशन बच नहीं सकता।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजलीकर्मियों की पीएफ के 2268 करोड़ रुपए डीएचएफएल में फंस जाने के मामले में बिजलीकर्मियों के प्रमुख संगठनों ने राज्य सरकार से पीएफ भुगतान की जिम्मेदारी लेने और इस सिलसिले में गजट अधिसूचना जारी करने की मांग की है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि संगठन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वह तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करें और सरकार पीएफ के भुगतान की ज़िम्मेदारी लेकर गजट अधिसूचना जारी करे। उन्होंने बताया कि संगठन ने ऐलान किया है कि पीएफ घोटाले के विरोध में सभाओं का क्रम जारी रहेगा और 14 नवंबर को लखनऊ में सरकार का ध्यान इस ओर खिंचने के लिए विशाल रैली निकाली जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस के जरिए इसके दमन की कोशिश की गई तो तीखी प्रतिक्रिया होगी और बिजली कर्मचारी तत्काल हड़ताल पर चले जाएंगे।
अधिसूचना जारी नहीं हुई तो आंदोलन होना तय
पावर आफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि डीएचएफल कंपनी में डूबे हुए पीएफ के धन की वापसी को लेकर सरकार और पावर कारपोरेशन चुप है जिससे कार्मिको में मन में संदेह उत्पन होना स्वाभाविक है। उनके धन को नियमों के विपरीत निवेश करने की जिम्मेदारी से पावर कारपोरेशन बच नहीं सकता। उन्होंने कहा कि सरकार धन वापसी की गारंटी लेकर इस सिलसिले में अधिसूचना जारी करे, नहीं तो 12 नवम्बर से आंदोलन तय है। संघर्ष समिति के संयोजक दुबे ने बताया कि समिति की लखनऊ में हुई बैठक में तय की गई रणनीति के मुताबिक पीएफ घोटाले के खिलाफ सभी जनपदों में सभाएं जारी रहेगी।
बिजलीकर्मियों के करोड़ों रुपए पीएफ के तौर पर जमा
आगामी 18 और 19 नवम्बर को बिजलीकर्मी 48 घंटे तक कार्य बहिष्कार करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएफ घोटाले को दबाने की कोशिश की जा रही है जिससे कर्मचारियों में खासी नाराजगी है। घोटाले के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पावर कारपोरेशन के पूर्व चैयरमैन आलोक कुमार हैं जिनके कार्यकाल में दागी कम्पनी डीएचएफएल को बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के 4122 करोड़ रुपए जमा किए गए। संघर्ष समिति की मांग है कि घोटाले के आरोपी कुमार को बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
गौरतलब है कि बिजली विभाग के कर्मचारियों के पीएफ के करीब सात हजार करोड़ रुपए नियम विरुद्ध तरीके से डीएचएफएल, पीएनबी हाउसिंग और एलआईसी हाउसिंग में निवेश किए जाने का आरोप है। इनमें से 65 प्रतिशत रकम यानी लगभग 4122 करोड़ रुपए डीएचएफएल में ‘फिक्स्ड डिपॉजिट’ किए गए थे। इसमें से करीब 1854 करोड़ रुपए वापस मिल गए थे। इसी बीच, बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा डीएचएफएल से धन निकालने पर रोक लगाए जाने की वजह से अब उसमें 2268 करोड़ रुपए फंस गए हैं।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)