CAA के विरोध में हिंसा: लखनऊ सहित पूरे यूपी में बंदी जैसे हालात, एक्सपर्ट ने कहा ये हैं घटना की 10 बड़ी वजह

राजधानी लखनऊ में गुरूवार को हुई खतरनाक हिंसा व आगजनी के मामले में पुलिस ने 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने तमाम संदिग्ध सोशल मीडिया एकाउंट्स की कुंडली खंगालना शुरू कर दिया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर स्थिति इतनी भयावह कैसे हो गई ? आखिर पुलिस ने ऐसे उपद्रवियों से निबटने के लिए पूर्व में तैयारियां क्यों नहीं की थी? ASIANET NEWS HINDI ने इस बारे में पूर्व डीजीपी एके जैन,विक्रम सिंह व महेश द्विवेदी तथा वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश सिंह से बात की। उन्होंने इतनी बड़ी हिंसा होने के 10 प्रमुख संभावित कारणों के बारे में बताया। 

लखनऊ(Uttar Pradesh ). CAA (नागरिकता संशोधन कानून ) को लेकर यूपी के कई जिले हिंसा की आग में जल रहे हैं। राजधानी लखनऊ में गुरूवार को हुई खतरनाक हिंसा व आगजनी के मामले में पुलिस ने 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने तमाम संदिग्ध सोशल मीडिया एकाउंट्स की कुंडली खंगालना शुरू कर दिया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर स्थिति इतनी भयावह कैसे हो गई ? आखिर पुलिस ने ऐसे उपद्रवियों से निबटने के लिए पूर्व में तैयारियां क्यों की थी? ASIANET NEWS HINDI ने इस बारे में पूर्व डीजीपी एके जैन,विक्रम सिंह व महेश द्विवेदी तथा वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश सिंह से बात की। उन्होंने इतनी बड़ी हिंसा होने के 10 प्रमुख संभावित कारणों के बारे में बताया। 

एके जैन (पूर्व डीजीपी यूपी )
1- "हमारी सबसे बड़ी कमी ये रही कि हमने थानों और चौकियों पर तैनात बीट के सिपाहियों का सही ढंग से प्रयोग नहीं किया। उन्होंने कहा कि बीट पर तैनात सिपाही पूरे इलाके की गतिविधि की खबर रखता है। ऐसे में अगर हमने पहले से वो तंत्र एक्टिव किया होता तो हमे पहले से ही दंगाइयों के प्लान की जानकारी होती और इस तरह की घटना रोका जा सकता था।"

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2- "प्रदर्शनकारियों को चौक इलाके में पाटानाला से आगे नहीं जाने देना चाहिए था। उन्हें पुराने लखनऊ इलाके में ही रोक के रखना चाहिए था। उस इलाके में पुलिस की मजबूत पिकेट न होने से वह उस इलाके से आगे निकल गए जिससे इतना बड़ा बवाल हो गया।" 

3 - "जब आईजी लखनऊ हुआ करता था उस समय लखनऊ में शिया-सुन्नी विवाद काफी होता था। लेकिन उसे बढ़ने से पुलिस इसलिए रोक लेती थी कि हमे उनकी गतिविधियां पहले से पता होती थी। उन्होंने बताया कि हमारे डेढ़ हजार से अधिक वार्डन हैं जो पुराना लखनऊ इलाके में ही रहते हैं,वो काफी सक्रिय भी हैं। इस घटना का अंदेशा लगने से पहले ही उन्हें एक्टिव करना चाहिए था। उनकी मीटिंग करनी चाहिए थी।"

विक्रम सिंह (पूर्व डीजीपी यूपी )
4- "दो दिन पूर्व जब लखनऊ में बवाल हुआ था उसी समय पुलिस को सतर्क हो जाना चाहिए था। पुलिस को प्रदर्शनकारियों की प्रिवेंटिव गिरफ्तारियां करनी चाहिए थी। जिन इलाकों में बवाल करने वाले लोगों की सूचना पहले से थी वहां से पहले से ही हिंसा भड़काने वाले लोगों को चिन्हित कर गिरफ्तार करना चाहिए था। "

5 - "घरों की छतों पर भारी मात्रा में ईंट पत्थर इकट्ठा कर लिए गए थे और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। सबसे महत्वपूर्ण है कि पुलिस को संदिग्ध क्षेत्रों में ऊंची बिल्डिंग्स से निगरानी करनी चाहिए थी। संदिग्ध इलाकों में छतों की तलाशी लेनी चाहिए थी। वाच टावर जरूरत के हिसाब से लगाने चाहिए। हमे ड्रोन से भी इलाके में निगरानी रखनी चाहिए थी।"
 
6- "लोकल इंटेलीजेंस को और अधिक मजबूत व हाईटेक बनाना चाहिए। अगर इस मामले में लोकल इंटेलीजेंस पहले से एक्टिव होता तो लोगों के हुजूम को इकट्ठा होने से पहले ही रोक लिया गया होता। संख्या अधिक नहीं होते तो हिंसा भी न हो पाती। "

महेश द्विवेदी (पूर्व डीजीपी यूपी )
7 - "पुलिस को समय रहते इस बवाल की खबर नहीं लग सकी। इसका सीधा सा मतलब है कि पुलिस थाने व चौकियों के स्तर पर कुछ कमियां हैं। सबसे पहले उन्हें दूर करना होगा उसके बाद इस तरह के घटनाओं को बड़ा होने से रोका जा सकता है। "

8 - "पॉलिटिकल पार्टियों के लोगों की सह से इतनी बड़ी घटना हो गई। मेरा मानना है कि इस तरह के मामलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए। जिस तरह से प्रदेश में हिंसा फ़ैली उसमे पब्लिक प्रॉपर्टीज का काफी नुकसान हुआ। आम जनमानस व कारोबार आदि पर भी काफी प्रभाव पड़ा। लोगों की जाने गई। तो ऐसे में राजनैतिक लोगों को इस तरह के मामले में दंगा भड़काने के बजाय पुलिस की मदद करनी चाहिए।"

 ब्रजेश सिंह (वरिष्ठ पत्रकार )
9- "हमारा मानना है कि थाने और चौकी स्तर से पुलिस के ऊपर के अधिकारियों में संवाद की कमी है। मिस कम्युनिकेशन से इतनी बड़ी घटना घट गई। सवाल ये है कि जब लोगों का जमाव शुरू हुआ तो लोकल पुलिस कहां थी ? दूसरा अगर ये बात उच्चाधिकारियों को पता थी तो समय रहते इसका उपाय क्यों नहीं किया गया।" 

10- "मै 20 साल से पत्रकारिता में हूं,कई बार मैंने लखनऊ में इस तरह के मामलों की वजह से लोगों के प्रदर्शन को देखा है। लेकिन सही प्लानिंग से उसे समय रहते छोटे में ही निबटा दिया जाता था। इस बार पुलिस की प्लानिंग सही नहीं थी जिसके कारण घटना इतनी बड़ी हो गयी। "

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