20 साल के बनवास का सुखद अंतः महिला के पैरों पर गिरा लड़का, कहा- तू मेरी मां है, वो बोली- मेरी कोई औलाद नहीं, और फिर..

कुम्भ में अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि यहां की भीड़ में कई लोग अपनों से बिछड़ जाते हैं। लेकिन इस बार प्रयागराज में संगम की रेती में चल रहे मिनी कुम्भ(माघ मेले) में 20 साल पहले बिछड़ा एक परिवार मिल गया। यह बात जिसे भी पता चली वह संगम किनारे बसे गंगा सेना शिविर की तरफ दौड़ पड़ा। लोगों के मन में उस परिवार को देखने की उत्सुकता थी

Asianet News Hindi | Published : Feb 5, 2020 9:42 AM IST / Updated: Feb 05 2020, 04:20 PM IST

प्रयागराज(Uttar Pradesh ). कुम्भ में अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि यहां की भीड़ में कई लोग अपनों से बिछड़ जाते हैं। लेकिन इस बार प्रयागराज में संगम की रेती में चल रहे मिनी कुम्भ(माघ मेले) में 20 साल पहले बिछड़ा एक परिवार मिल गया। यह बात जिसे भी पता चली वह संगम किनारे बसे गंगा सेना शिविर की तरफ दौड़ पड़ा। लोगों के मन में उस परिवार को देखने की उत्सुकता थी। 

बता दें कि प्रयागराज के सोरांव इलाके की एक महिला का अपने पति से काफी अनबन रहती थी। महिला अपने पति की आदतों से परेशान थी। एक दिन वह गुस्से में आकर घर छोड़कर आत्महत्या के इरादे से निकल पड़ी। घर में उसके 9 साल व 7 साल के दो बेटे व एक 2 साल की बेटी थी। लेकिन रोज-रोज की कलह से तंग आकर वह सभी को छोड़कर घर से निकल गई। तकरीबन 20 सालों बाद उसे माघ मेले में गंगा स्नान करने की इच्छा हुई तो वह वापस आई। और संगम किनारे महंत आनंद गिरि महाराज के गंगा सेना शिविर में जाकर रुक गई। मंगलवार को व गंगा स्नान करने गई थी। उसी समय गंगा स्नान को आए उसके बड़े बेटे ने उसे पहचान लिया। उसने जब मां को बुलाया तो वह भाग कर शिविर में वापस आ गई। लेकिन बेटा भी मां के पीछे शिविर में पहुंच गया। पहले तो मां ने जानबूझ कर बेटे को पहचानने से इंकार कर दिया। लेकिन बाद में महंत आनंद गिरि के सामने उसने सारी सच्चाई बयां कर दी। बेटे के फोन पर उसके और बच्चे भी वहां आ गए। 

घर से भाग कर पहुंची थी स्टेशन 
महिला ने बताया कि कि जब उसका उसके पति से झगड़ा कम न हुआ तो वह मरने के लिए घर से निकल गई थी। वह ऑटो से प्रयागराज स्टेशन गई। उसने वहां ट्रेन के सामने कूद कर जान देने की कोशिश की। लेकिन उसका मन बदल गया और वह एक ट्रेन में सवार हो गई। वह ट्रेन उसे पंजाब ले गई। उसके पास न तो खाने के पैसे थे और न ही रहने को आशियाना। उसने पास ही चल रहे एक सतसंग में जाकर वहां भंडारे में अपनी भूख मिटाई। जिसके बाद वह वहीं रहने लगी। जहां से उसे एक घर में खाना बनाने व अन्य घरेलू काम करने की नौकरी मिल गई। 

20 सालों में जमा किया लाखों रूपया 
महिला ने बताया कि मै वहां कई घरों में खाना बनाने आदि की नौकरी करने लगी। जिससे मैंने धीरे-धीरे कर पैसे इकट्ठा करना शुरू किया। मैंने वहां खुद का घर बनाया। मैंने अपनी बेटी के नाम 10 लाख का फिक्स डिपॉजिट भी किया है। उसने बताया कि वहां उसका काम ठीक चल रहा है। इसलिए वह अपने बच्चों के साथ अब वहीं रहना चाहती है। 

आज सिद्ध हुआ शिविर लगाने का मकसद:महंत आनंद गिरि 
महंत आनंद गिरि ने कहा कि मै कई सालों से माघ मेले व कुम्भ में गंगा सेना शिविर लगा रहा हूं। लेकिन आज एक परिवार को गंगा मैया ने मिलाकर मुझे इस शिविर लगाने का सही आशीर्वाद दिया है। आज इस शिविर को लगाने का सही मकसद सिद्ध हुआ है। 20 सालों से बिछड़े मां और उसके बच्चे मिल गए इससे ज्यादा पुनीत कार्य और क्या हो सकता है। 

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