मांगलिक कार्यों में नेग लेने को लेकर दो किन्नरों के बीच मारपीट हुई थी। आरोप था कि एक किन्नर दूसरे के क्षेत्र में नेग ले रही है, इसी को लेकर विवाद हुआ था। इसकी सूचना मिलने पर करछना पुलिस ने दोनों पक्ष को अपने साथ थाने ले गई और बैठा लिया। लेकिन थाने में भी पुलिसकर्मियों के सामने जमकर हंगामा काटा।
प्रयागराज: किन्नर अथवा हिजड़े ना तो मर्द होते है और ना ही नारी। यह एक ऐसा समुदाय है जिसका ज़िक्र ग्रंथो में भी पाया जाता है। इस समुदाय के लोग हर खुशी में शामिल होते हैं। साथ ही ऐसा माना जाता है कि इनकी दुआओं में बहुत असर होता है तो वहीं दूसरी ओर इनकी बद्दुआएं नहीं लेनी चाहिए। घर में किसी भी प्रकार का खुशी का माहौल हो किन्नर नेग लेने के लिए पहुंच जाते है। साथ ही अपनी दुआएं देते है। लेकिन संगम नगरी प्रयागराज में नेग लेने को लेकर दो किन्नरों के बीच विवाद हो गया। झगड़ा इतना बढ़ गया कि मारपीट तक हो गई।
विवाद की सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस
मांगलिक कार्यों में नेग लेने को लेकर दो किन्नरों के बीच विवाद व मारपीट हुई थी। आरोप था कि एक किन्नर दूसरे के क्षेत्र में नेग ले रही है, इसी को लेकर दो किन्नरों में विवाद हुआ था। इसकी सूचना मिलने पर करछना पुलिस दोनों पक्ष को अपने साथ थाने ले और बैठा लिया। लेकिन जब इसकी जानकारी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या गिरी को होने पर कई गाड़ियों में दर्जनों किन्नरों के साथ करछना थाने पहुंच गईं। अचानक से थाने में किन्नरों की भीड़ देखकर प्रभारी निरीक्षक टीका राम वर्मा समेत पुलिसफोर्स सख्ते में आ गयी।
थाने में ही एक किन्नर ने दूसरे की कर दी पिटाई
इतना ही नहीं मामला काफी बढ़ गया था तभी तो कुछ किन्नरों ने एक पक्ष की किन्नर की थाने परिसर में ही पिटाई कर दी। जिसे देखकर दूसरे इलाके के किन्नरों में हड़कंप मच गया। मौजूद पुलिस कर्मियों ने किसी तरह बीच बचाव किया। इसके पश्चात महामंडलेश्वर ने दोनों पक्षों को बुलाकर बातचीत कर दोनों की रजामंदी से समझौता लिखवाकर हस्ताक्षर करवाया और सभी को अपने अपने क्षेत्र में ही जाने को कहा। जिसके पश्चात सभी चले गये। किन्नरों द्वारा हंगामें के कारण एक घंटे तक वहां मौजूद पुलिस कर्मी परेशान रहे। काफी मशक्त के बाद पुलिस मामले का सुलझा पाई। तब जाकर किन्नर थाने से वापस लौटे।
किन्नरों का रहन-सहन सामान्य मनुष्यों से होता अलग
बता दें कि किन्नर हमारी हर खुशी में शामिल होते हैं और माना जाता है कि इनकी दुआओं में बहुत असर होता है और इनकी बद्दुआएं नहीं लेनी चाहिए। दरअसल किन्नरों की एक अलग ही दुनिया है जिसके बारे में ज़्यादा बातें बाहर नहीं आती हैं। उनका रहन-सहन सामान्य मनुष्यों से बिलकुल अलग है। किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यक्रमों में कोई पहुंचे या नहीं लेकिन अपना नेग लेने ये किन्नर अवश्य पहुंचते है और दुआएं देते हुए वापस आ जाते है।
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