यूपी में अग्निवीर भर्ती में चल रहा था फर्जी डॉक्यूमेंट का खेल, मास्टरमाइंड सिकंदर के इशारे पर ऐसे होता था काम

यूपी के मुजफ्फरनगर में पुलिस ने अग्निवीर भर्ती में फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर 4 लोगों को गिरफ्तार किया। यह लोग अधिक उम्र के लोगों को निशाना बनाकर उनसे डेढ़ से दो लाख रुपए वसूल रहे थे।

Asianet News Hindi | Published : Sep 30, 2022 3:57 AM IST / Updated: Sep 30 2022, 09:28 AM IST

मुजफ्फरनगर: यूपी पुलिस और मेरठ की आर्मी इंटेलिजेंट ने अग्निवीर भर्ती में अभ्यर्थियों के फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार भी किया गया है। गिरफ्तार लोगों के पास से फर्जी मार्कशीट, आधार कार्ड, परिचय पत्र और लाखों की नगदी बरामद हुई है। मुजफ्फरनगर जनपद की सिविल लाइन थाना पुलिस के द्वारा गुरुवार को इस गिरोह का खुलासा करते हुए कई अन्य जानकारियां भी दी गईं। 

गिरोह का मास्टरमाइंट था एडवोकेट सिकंदर 
आपको बता दें कि गिरफ्तार हुए लोगों की पहचान सिकंदर, प्रशांत चौधरी, अनुज चौधरी, हिमांशु चौधरी के रूप में हुई है। यह लोग अग्निवीर भर्ती के लिए आने वाले युवाओं को फर्जी डॉक्यूमेंट उपलब्ध करवाने का काम करते थे। इनके पास से फर्जी अंक पत्र, आधार कार्ड, परिचय पत्र और 2 लाख 35 हजार रुपए नगद बरामद हुए हैं। पुलिस की गिरफ्त में आए चारों आरोपी बागपत, मुरादाबाद, संभल जनपद के निवासी बताए जा रहे हैं। यह लोग मुजफ्फरनगर में चल रही अग्निवीर भर्ती में आने वाले युवाओं को फर्जी डॉक्यूमेंट देकर उनसे डेढ़ से दो लाख रुपए ले लिया करते थे। इन आरोपियों में बागपत निवासी सिकंदर एडवोकेट है जो कि इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंट था। 

दो-तीन युवाओं को ही बना पाए थे निशाना 
जानकारी के अनुसार सिकंदर ही फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनवाकर इन लोगों को उपलब्ध करवाता था। गनीमत रही कि यह गिरोह अभी तक अग्निवीर भर्ती में आने वाले दो से तीन युवाओं को ही अपने शिकंजे में फंसा पाया था। इसी बीच गिरोह के लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हालांकि पुलिस अभी यह जानकारी करने में लगी है कि इस गिरोह में और कितने लोग शामिल हैं। यह लोग कहां-कहां से संपर्क कर अभ्यर्थियों को फर्जी डॉक्यूमेंट मुहैया करवाते थे। गिरोह के लोग भर्ती में शामिल होने आए अधिक उम्र के अभ्यर्थियों को टारगेट करते थे। उनसे संपर्क कर डॉक्यूमेंट में कमी बता उन चीजों की पूर्ति के लिए कहते। इसके बाद डॉक्यूमेंट के नाम पर ही उनसे डेढ़ से दो लाख रुपए वसूल लिए जाते। 

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