मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, यूनिफार्म सिविल कोड न लागू करने की बताई ये वजह

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर मुस्लिम समुदाय पर यूनिफार्म सिविल कोड लागू न करने की अपील की है। बोर्ड के महासचिव डा. मोइन अहमद खान ने पत्र में लिखा है कि मुस्लिमों को अपने धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार विवाह व तलाक के अधिकार देश की आजादी से पहले से ही प्राप्त है। 

Hemendra Tripathi | Published : Apr 29, 2022 2:25 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के साथ देश भर में यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। जिसे लेकर अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर मुस्लिम समुदाय पर यूनिफार्म सिविल कोड लागू न करने की अपील की है। बोर्ड के महासचिव डा. मोइन अहमद खान ने पत्र में लिखा है कि मुस्लिमों को अपने धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार विवाह व तलाक के अधिकार देश की आजादी से पहले से ही प्राप्त है। 

धार्मिक समुदाय पर छोड़ने की बाबा साहब ने कही थी बात- महासचिव
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डा. मोइन अहमद खान ने अपने पत्र में लिखा कि इस संबंध में 1937 से मुस्लिम एप्लिकेशन एक्ट के अंतर्गत संरक्षण प्राप्त है जबकि संविधान सभा में इस सम्बंध में हुई बहस में प्रस्तावना समिति के चेयरमैन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि सरकार इसे धार्मिक समुदाय पर छोड़ दे और सहमति बनने तक इसे लागू न करे। 

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सभी धार्मिक संगठनों से हो सकारात्मक चर्चा-डा. मोइन 
महासचिव डा. मोइन अहमद खान ने कहा कि बोर्ड का मानना है कि यूनिफार्म सिविल कोड के मसौदे के साथ सरकार को सभी धार्मिक संगठनों से सकारात्मक चर्चा करनी चाहिए। सरकारों का काम समस्याओं के समाधान का है न कि धार्मिक मसले उतपन्न करने का। 6 यूनिफार्म सिविल कोड पर अनेक किंतु परन्तु है मगर समाज और धार्मिक समूहों से चर्चा के बिना कोई भी धार्मिक समूह इसे अंगीकृत नही करेगा। श्री खान ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के निकाह तलाक महिलाओं का सम्पत्ति में अधिकार जैसे अधिकार ही मुस्लिम एप्लीकेशन एक्ट 1937 से लेकर भारतीय संविधान में स्थापित है फिर उसके साथ यूनिफार्म सिविल कोड की आड़ में उसके साथ छेड़ छाड़ की क्या आवश्यकता है।

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